युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










युगों युगों से यही हमारी
बनी हुई परिपाटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।


इस धरती ने जन्म दिया है
यही पुनीता माता है
एक प्राण दो देह सरीका
इससे अपना नाता है
यह धरती है पार्वती माँ
यही राष्ट्र शिव शंकर है
दिगमंडल सापों का कुण्डल
कण कण रूद्र भयंकर है
यह पावन माटी ललाट की
यह पावन माटी ललाट की
ललीत ललाम ललाटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।


इसी भूमि पुत्री के कारण
भस्म हुई लंका सारी
सुई नोक भर भू के पीछे
हुआ महाभारत भारी
पानी सा बह उठा लहु था
पानीपत के प्रांगण में
बिछा दिये रिपु गण के शव थे
उसी तरायण के रण मे
पृष्ठ बाचते इतिहासो के
पृष्ठ बाचते इतिहासो के
अब भी हल्दी घाटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।


सिख मराठे राजपूत क्या
बंगाली क्या मद्रासी
सिख मराठे राजपूत क्या
बंगाली क्या मद्रासी
इस मंत्र का जाप कर रहे
युग युग से भारतवासी
बुन्देले अब भी दोहराते
यही मंत्र है झाँसी में
देंगे प्राण ना देंगे माटी
गूंज रहा है नस नस मे
शिश चढाया काट गर्दने
शिश चढाया काट गर्दने
या अरी गर्दन काटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।









इस धरती के कण कण पर है
चित्र खिचा कुरबानी का
इस धरती के कण कण पर है
चित्र खिचा कुरबानी का
एक एक कण छंद बोलता
चढी शहीद जवानी का
इसके कण है नही किंतु ये
ज्वाला मुखी के शोले है
किया किसी ने दावा इनपर
ये दावा से डोले है
इन्हें चाटने बढा उसी ने
धूल धरा की चाटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।


युगों युगों से यही हमारी
बनी हुई परिपाटी है
खून दिया है मगर नही दी
कभी देश की माटी है
युगो युगो से यही हमारी।।
गायक प्रकाश माली जी।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818










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