यहाँ दुख में ब्रम्ह भी रोते हैं भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










यहाँ दुख में ब्रम्ह भी रोते हैं
हे रघुराई तुमसे विनती करूँ मैं
दुःख में पड़ा हूँ दुःख से उबारो
माया नाच नचाए रे
इससे कौन बचाए रे
धरा धाम पर दुख आए तो
कभी नहीं घबराना रे
दुख में ही सुख ढूंढ निकालो
हंसकर गले लगाना रे
खुद मर्जी कोई काम ना होते हैं
यहाँ दुख में ब्रह्म भी रोते हैं।।
तर्ज अपने तो अपने होते।


विधना के आगे ये कैसी लाचारी है
बन बन घूम रही सिया सुकुमारी है
धन कोई काम ना आया रे
फुस की कुटिया बनाया रे
कल जो बनते अवधपति
वो इस कुटिया में सोते हैं
देखके ऐसे दसा प्रभु के
कोल भील भी रोते हैं
बिधगति में जो लिखा वही होते हैं
यहाँ दुख में ब्रह्म भी रोते हैं।।









सुख दुख तो ज्ञानी जीव
हंस हंस के ढोया है
सबको जो सुख बांटे
वो काहे रोया है
जो नियम वही बनाया है
पहले उसने ही निभाया है
नर के रूप नारायण है वो
ज्ञान की बात बताता हैं
होना था जो वही हुआ इसे
कोई रोकना पाता है
बोझ उठाकर खुद ही सब ढोते हैं
यहाँ दुख में ब्रह्म भी रोते हैं।।


पहले जो बीज बोया
अब फल आया है
फल आने में थोड़ा
देर लगाया है
सब के पीछे कोई कारण है
कार्य पहले से निर्धारण है
अगर वृक्ष है कहीं ऊगा तो
बीज कही से आता है
वृक्ष है कोई उगाने वाला
ऐसे नहीं हो जाता है
कारण सबको पता नहीं होते हैं
यहाँ दुख में ब्रह्म भी रोते हैं
यहाँ दुख में ब्रम्ह भी रोते हैं।।


हे रघुराई तुमसे विनती करूँ मैं
दुःख में पड़ा हूँ दुःख से उबारो
माया नाच नचाए रे
इससे कौन बचाए रे
धरा धाम पर दुख आए तो
कभी नहीं घबराना रे
दुख में ही सुख ढूंढ निकालो
हंसकर गले लगाना रे
खुद मर्जी कोई काम ना होते हैं
यहाँ दुख में ब्रम्ह भी रोते हैं
यहाँ दुख में ब्रम्ह भी रोते हैं।।


917004825279










yahan dukh me brahma bhi rote hai lyrics