वृषभान की लली मधुर मुस्काए के चली भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










वृषभान की लली
मधुर मुस्काए के चली
मुलीधर की मुरली
वह छुपाई के चली
हां छिनाए के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।


बात बात पर आंख मिचोली
करती कृष्ण कन्हैया से
हाथ ना आती भग जाती है
जग के रास रचैया से
प्रेम दीवानी मैं तेरी
समझाई के चली
हो बतलाई के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।


आंचल मेरा छोड़ दो नटवर
पढ़ती हूं मैं पैया
बंसी तेरी मैं ना जानू
कसम है यशोदा मैया
नंद नंदन के मन से
हाथ छुड़ाए के चली
हो समझाई के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।


करो ना हट मकसूदन मोहन
माधव मदन मुरारी
वृंदावन की कुंज गली में
खो गई बसिया प्यारी
सच कहती वह खुलेआम
बतलाई के चली
समझाई के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।









मोर मुकुट पीताम्बर धारी
सुन लो बात हमारी
मैं हूँ ब्रज की नार नवेली
नाम है राधा प्यारी
तुम जैसे नटखट को
खेल खिलाए के चली
समझाई के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।


वृषभान की लली
मधुर मुस्काए के चली
मुलीधर की मुरली
वह छुपाई के चली
हां छिनाए के चली
वो बृजभान की लली
मधुर मुस्काए के चली।।












vrishbhanu ki lali madhur muskay ke chali lyrics