वृन्दावन में रस की धार सखी री बरस रही भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










वृन्दावन में रस की धार
सखी री बरस रही
मैं तो कर सोलह श्रृंगार
सखी री तरस रही
वृंदावन में रस की धार
सखी री बरस रही।।


शरद चंद्र की अमृत किरणे
भूमण्डल पर लगी बिखरने
चांदनी बन छाई बहार
चहुँ ओर बरस रही
वृंदावन में रस की धार
सखी री बरस रही।।


तान सुरीली श्याम बजाई
मधुबन मिल गोपी सब आई
जीवन होगा साकार
सखी री हरष रही
वृंदावन में रस की धार
सखी री बरस रही।।


अमर प्रेम भरे रसिक बिहारी
पागल की हरिदास दुलारी
गोपाली जीवन आधार
करुण रस बरस रही


वृंदावन में रस की धार
सखी री बरस रही।।









वृन्दावन में रस की धार
सखी री बरस रही
मैं तो कर सोलह श्रृंगार
सखी री तरस रही
वृंदावन में रस की धार
सखी री बरस रही।।












vrindavan me ras ki dhar sakhi ri baras rahi lyrics