वैकुण्ठ मे रेवा वालो अण काया मे रेवे कठे - MadhurBhajans मधुर भजन










वैकुण्ठ मे रेवा वालो
अण काया मे रेवे कठे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।


अरे घर मायने चूल्हा जले
वावानी सब बार धके
अरे भई मसाना मे बले लाकडा
ओ राकोडो जावे कठे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।


अरे पाव अन्देर की कोठी भरेला
अरे पाव अन्देर की कोठी भरेला
अरे भई घर भरी भकारीया नटे
पेट ओ मसाना रो खाडो
नही भरे नही भरे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।


अरे कारिघर री करनी देखलो
किसमे कितनो माल खटे
अरे वहा चार आंगल री करनी देखलो
ट्रकों ट्रको रेत कटे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।









अरे जी ओर हो जी शब्द को
अर्थ करे वे संत कठे
अरे समझ्या वाने ईश्वर मिलगा
न समझ्या री पीड अटे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।


वैकुण्ठ मे रेवा वालो
अण काया मे रेवे कठे
आ कोई जान सको नहीं बीरा
आया कटु ओर जावो कठे।।
गायक संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818










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