उठ जाग मुसाफिर भोर भई हिंदी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो जागत है सो पावत है।।
तर्ज जिस भजन में राम का नाम।
उठ नींद से अखियाँ खोल जरा
अपने प्रभु का तू ध्यान लगा
यह प्रीत करन की रीत नही
हरि जागत है तू सोवत है
उठ जाग मुसाफिर भोर भयी
अब रैन कहाँ जो सोवत है।।
जो कल करना सो आज तू कर
जो आज करे सो अब कर ले
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया
फिर पछताते क्या होवत है
उठ जाग मुसाफिर भोर भयी
अब रैन कहाँ जो सोवत है।।
अब अपनी करनी देख जरा
बिन हरि भजन अब चैन कहाँ
जब पाप की गठड़ी शीश धरी
अब शीश पकड़ क्यों रोवत है
उठ जाग मुसाफिर भोर भयी
अब रैन कहाँ जो सोवत है।।
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो जागत है सो पावत है।।
uth jaag musafir bhor bhai lyrics