ऊपर वाला बैठा सब देख रहा भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










ऊपर वाला बैठा सब देख रहा
एक मन कहता करले करले
दूजा कहता नहीं नहीं
मन मर्जी चलना प्यारे ये
निर्णय भी तो ठीक नहीं
लालच में क्यों आत्मा को बेच रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा।।


ये भी कर लूँ वो भी कर लूँ
जो चाहे तू करता है
वाह रे वाह इंसान तेरा ये
पेट कभी नहीं भरता है
अपनी ही अपनी रोटी तू सेक रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा।।


मिलते रोज मदारी खूब
तमाशा भी कर लेते है
खुद बैंगन खाए औरो को
ज्ञान बांटते फिरते है
फ़ोकट में वो लम्बी लम्बी फेक रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा।।









जैसी करनी वैसी भरनी
करना क्या तू देख ले
साथ नहीं कुछ जाए जितना
मर्जी तू समेट ले
लहरी मौज करेगा गर तू नेक रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा।।


एक मन कहता करले करले
दूजा कहता नहीं नहीं
मन मर्जी चलना प्यारे ये
निर्णय भी तो ठीक नहीं
लालच में क्यों आत्मा को बेच रहा
ऊपर वाला बैठा सब देख रहा
ऊपर वाला बैंठा सब देख रहा।।












upar wala baitha sab dekh raha bhajan lyrics