उलझन में भी ओ बाबा संतोष कर रहे है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
उलझन में भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है
तेरा हाथ पीठ पर हम
महसूस कर रहे है
उलझन मे भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है।।
तर्ज दुनिया ने दिल दुखाया।
सुनसान ये डगर है
फिर भी हमें ना डर है
हमें ये खबर है गिरधर
तू भी ना बेखबर है
जिस ओर भी बढ़े हम
बेख़ौफ़ बढ़ रहे है
उलझन मे भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है।।
हमें रोकने को आई
यूँ तो हज़ार आंधी
आई चली गई वो
छू ना सकी ज़रा भी
विपदाएं पीछे खींचे
हम रोज़ बढ़ रहे है
उलझन मे भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है।।
ये ना कहेंगे मुश्किल
राहों में ना मिली है
पर श्याम की कृपा ये
मुश्किल से भी बड़ी है
गोलू ख़ुशी को पाने
ग़म ये गुज़र रहे है
उलझन मे भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है।।
उलझन में भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है
तेरा हाथ पीठ पर हम
महसूस कर रहे है
उलझन मे भी ओ बाबा
संतोष कर रहे है।।
uljhan me bhi o baba santosh kar rahe hai lyrics