तुम घर जाओ वेद मुझे रोग भारी है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










तुम घर जाओ वेद
मुझे रोग भारी है
रोग रो मेटणीयो मारो
सावरीयो गिरधारी हैं
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।


नाड़ी ने टटोल कांई
दर्द कलेजे माई
नाड़ी वेद जाणे कोनीं
मूर्ख अनाड़ी है
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।


घस घस पावे बुटी
लागे खारी खारी रे
राम नाम मीठो लागे
दुजी बांतो न्यारी रे
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।


कानो में कुडंलियां सोवे
मोर मुकुट धारी है
भुरकी झटाले बाबो
मामे बुरकी डारी रे
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।









तीन लोक तारण तिरण
मीरा दुख हारी रे
तारणो तुम्हारे हाथ
अर्ज हमारी रे
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।


तुम घर जाओ वेद
मुझे रोग भारी है
रोग रो मेटणीयो मारो
सावरीयो गिरधारी हैं
तुम घर जावो वेद
मुझे रोग भारी है।।
गायक जोग भारती जी।
प्रेषक भाकर बिराई।
9166293033










tum ghar jao ved mujhe rog bhari hai lyrics