तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी तो फिर कँगाल क्यो बने - MadhurBhajans मधुर भजन










तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने
तुझे लाल चुनर
तुझे लाल चुनरिया उड़ादी
तो फिर बेहाल क्यो फिरे
तुझें दे दी गुरूजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने।।
तर्ज मेरे पैरो में घुंगरू बंधा दे।


लूटना चाहे लूटले प्यारे
आज तू हीरे मोती
ना जाने कल आए न आए
जीवन मे फिर ये रात अनोखी
जीवन मे फिर ये रात अनोखी
प्रीत चरणो से गुरु के लगाई
तो फिर कँगाल क्यो बने
तुझें दे दी गुरूजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने।।


न कोई रोके न कोई टोके
न कोई लूटने वाला
पीकर जाम नाम सतगुर का
प्राणी तू हो जा मतवाला
प्राणी तू हो जा मतवाला
नाम भक्ती को तूने है पाई
तो फिर कँगाल क्यो बने
तुझें दे दी गुरूजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने।।









दासन दास शरण प्रभू तेरी
जाने न महिमा तेरी
न जानूँ मै सेवा भक्ति
गाऊँ क्या मै महिमा प्रभू तेरी
गाऊँ क्या मै महिमा प्रभू तेरी
आज मुझको भी थोड़ी पिलादे
तो नाचूँ मै झूम झूमके
तुझें दे दी गुरूजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने।।


तुझे दे दी गुरुजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने
तुझे लाल चुनर
तुझे लाल चुनरिया उड़ादी
तो फिर बेहाल क्यो फिरे
तुझें दे दी गुरूजी ने चाबी
तो फिर कँगाल क्यो बने।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।










tujhe de di guruji ne chabi lyrics