तू राजा की राजदुलारी हरियाणवी शिव भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










तू राजा की राजदुलारी
मैं सिर्फ लंगोटे आला सुँ
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।


पंच धुणया में तपया करूं तुं
आग देख क डरज्यागी
सौ सौ सर्प पड़े रहं गल में
नाग देख क डरज्यागी
धरती के महां सोया करूं मैं
रात देख क डरज्यागी
राख घोल क पिया करूं मैं
हाल देख क डरज्यागी
एक कमंडल एक कटोरा
फुटे लोटे आला सुं
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।


सौ सौ दासी दास तेरः
आड़ः एक भी दासी पास नहीं
महलां आला सुख चाहिए आड़ः
सतरंज चौपड़ तास नहीं
तुंं बागांं की कोयल से आड़ः
बर्फ पड़ै हरि घास नहींं
सयाल दुसाले ओढ़ण आली मेरः
काम्बल तक भी पास नहींं
तुंं साहुकार गुजारे आली
मैं बिल्कुल टोटे आला सुंं
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।


पालकी में सैर करै मैं
पैदल सवारी करया करुंं
पर्वत ऊपर लगा समाधी मैं
अटल अटारी रहया करूंं
तुं महलां में वास करः मैं
बिन घरबारी रहया करुंं
बढ़िया भोजन नहीं मिले मैं
पेट पुजारी रहया करूंं
तन्नै जुल्फा आला बंदड़ा चाहिए
मैं लाम्बे चौटे आला सुंं
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।









मेरी गैल्यां घिरसती आला
खेल खिलाना ठीक नहीं
सही कहुं सुंं पार्वती तैन्नै
बयाह करवाना ठीक नहीं
भांग धतुरा पिया करूंं मैंं
तेल पिलाना ठीक नहीं
मेरी जटा मे गंग बहे उड़ै
मोड़ धराणा ठीक नहीं
मांंगेराम बोझ मरज्यागी
मैं जबर भरोटे आला सुंं
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।


तू राजा की राजदुलारी
मैं सिर्फ लंगोटे आला सुँ
भांग रगड़ क पिया करूं मैं
कुंडी सोटे आला सुं।।
गायक नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक राकेश कुमार।
खरक जाटानरोहतक
9992976579










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