तु महारे घर का मालिक स कोनया तन्नै नाराज करूं - MadhurBhajans मधुर भजन
तु महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
जिस घर में सम्मान तेरा तुं
उड़ै दड़ाके ठावः स
दुध पुत में बरकत हो स
सुथरा काम चलावः स
सुबह शाम तेरी जोत जगाऊँ
बंध लहसण और प्याज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।
हो तुं महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
मावस के दिन कपड़े पहरादुँ
तन्नै असनान करा क ने
घर में थान बणादुँ पंडत
ने जलपान करा क ने
बारों मास तेरा गहणा घर में
मैं तेरे ऊपर नाज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।
हो तुं महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
तेरा पहरा जब बणया रह तो
हवा ओपरी आवः ना
जिसका पित्र बंधज्या तो
भोग उड़ै तक जावः ना
दो रोटी तेरे ना की काढुँ
ये पुरी रीति रीवाज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।
हो तुं महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
कृष्ण जुए आले की दादा
तेरे हाथ में डोरी स
तेरी दया त तेरे बेटे की
हवा कसुती होरी स
धनसिँह भक्त पाणीपत के महां
तेरी दया तं राज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।
हो तुं महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
तु महारे घर का मालिक स
कोनया तन्नै नाराज करूं
हाथ जोड़ क पूजा थारी
पित्र महाराज करूंं।।
प्रेषक
राकेश कुमार खरक जाटानरोहतक
9992976579
tu mhare ghar ka malik se konya tane naraz karun lyrics