तू हरि को ना भजेगा भव कैसे पार होगा - MadhurBhajans मधुर भजन
तू हरि को ना भजेगा
भव कैसे पार होगा
भव कैसे भव कैसे
भव कैसे पार होगा
तू हरि को ना भजेगा।।
तर्ज तू जहाँ जहाँ चलेगा मेरा।
मिट जाएगा ये एक दिन
इस तन पर तू न इतरा
जिस काम से तू आया
उसको क्यो है तू बिसरा
जो चला गया तू यूँ ही
सोचो क्या हाल होगा
तू हरि को ना भजेगा।।
अवसर मिला है हमको
उसको न अब गवाँना
जो किया नही भजन तो
सत गुरू को न लजाना
जैसे जहाँ मे आया
वैसे ही जाना होगा
तू हरि को ना भजेगा।।
गुरु तो दयालू होते
हो जाए शरणागत जो
गुरूदेव की दया से
पाएगा चरणो रज वो
जो भजेगा नाम मन तो
आँनन्द अपार होगा
तू हरि को ना भजेगा।।
तू हरि को ना भजेगा
भव कैसे पार होगा
भव कैसे भव कैसे
भव कैसे पार होगा
तू हरि को ना भजेगा।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
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tu hari ko na bhajega lyrics