थाने छप्पन भोग बाबा म्हे जिमावा भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा
थाने छप्पन भोग
बाबा म्हे जिमावा
थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।
तर्ज तेरे होंठों के दो।


है एक से एक मिठाई
जा की दुनिया करे है बड़ाई
तैयार करी या रसोई
बड़ो नामी है वो हलवाई
बाबा आकर के तो देख
थोड़ो खा कर के तो देखो
थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।


है हल्दीराम का भुजिया
और चमचम बनायो तिवाड़ी
रेलीसिंघ को है शरबत
चाखो थे बारी बारी
आओ आओ जी सरकार
थासु विनती बारम्बार
थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।









कैसा लाग्या ये मेवा
जरा खाकर तो बतलाओ
हर चीज है बढ़िया ताजा
जीमण ने हाथ बढ़ाओ
आखिर में कलकतिया पान
बाबा छप्पन भोग की जान
थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।


थारो ही दियोड़ो बाबा
थारे ही भोग लगावा
थारे जिम्या पाछै बाबा
म्हे भी परसाद वो पावा
गावे दास पवन गुणगान
राखो बाबा म्हारो मान


थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।


थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा
थाने छप्पन भोग
बाबा म्हे जिमावा
थे भोग लगाने
आओ जी आओ जी
थारो मन चाह्यो
म्हे भोग लगावा।।












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