थक सी गई हूँ मैं जग को पुकार के भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










थक सी गई हूँ मैं
जग को पुकार के
शरण में आयी हूँ
सबकुछ हार के।।
तर्ज छुप गया कोई रे।


आँखों में नींद नहीं
दिल भी उदास है
बिखरे है सपना टुटा
टूटी हर आस है
घाव है गहरा बहुत
अपनों के प्यार की
शरण में आयी हूँ
सबकुछ हार के।।


जीवन की बाजी अब तो
आप के ही हाथ है
हारे के साथी बाबा
आप दीनानाथ है
बन जाओ माझी बाबा
मेरी मजधार के
शरण में आयी हूँ
सबकुछ हार के।।









ख़ताये जो की है मैंने
मुझे स्वीकार है
माफ़ करो भूल ये मेरी
तेरी दरकार है
गलती के पुतले मोहित
हम तो संसार के
शरण में आयी हूँ
सबकुछ हार के।।


थक सी गई हूँ मैं
जग को पुकार के
शरण में आयी हूँ
सबकुछ हार के।।














thak si gayi hun main jag ko pukar ke lyrics