तेरे निशदिन जल में लेकिन गुरुदेव भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










तेरे निशदिन जल में लेकिन
फिर भी है मीन पियासी
फिर भी है मीन पियासी।।
तर्ज मैरे नैना सावन भादौ।


चँदा से यूँ चकोरा
मिलने को तरसे
ऐसे ही मेरे ये दो नैना
मिलने को तुझे तरसे
निशदिन ही ये बरसे
हो आकर के दिखला दो
प्रीतम अपनी झलक जरासी
फिर भी है मीन पियासी
फिर भी है मीन पियासी।।


धरती अँबर को
कामिनी प्रियवर को
ऐसे ही मिलने को तरसूँ
मै अपने गुरुवर को
हो मै अपने ईश्वर को
एक बिरहन है जो
तेरे दरश की
जनम जनम की पियासी
फिर भी है मीन पियासी
फिर भी है मीन पियासी।।









राही मँज़िल को
कश्ती साहिल को
ऐसे ही मै तुमको ढूँढू
ज्योँ प्यासा सावन को
हो ज्यो प्यासा सावन को
मन मँदिर में
ज्योति जगादो
हे प्रभू नँगली निवासी
फिर भी है मीन पियासी
फिर भी है मीन पियासी।।


तेरे निशदिन जल में लेकिन
फिर भी है मीन पियासी
फिर भी है मीन पियासी।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
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