तेरे दर पे सदा आता ही रहा हूँ मैं भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
तेरे दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं
चाहे दुःख में रहूं
चाहे सुख में रहूं
मुस्कुराता रहा हूँ मैं
तेरें दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं।।
तर्ज घुंघरू की तरह।
तूने छोड़ दिया चाहे साथ मेरा
पर छोड़ा नहीं मैंने दर ये तेरा
चाहे हाथ रहे मेरे खाली
मुस्कुराता रहा हूँ मैं
तेरें दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं।।
अपनों ने दिए जो दर्द मुझे
वो भी सदा हस हस के सहे
किसी से कैसा गिला
जिसने जो भी दिया
सहता ही रहा हूँ मैं
तेरें दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं।।
मैं करता रहा श्याम तुमको नमन
चाहे भीगे रहे वीना जी के नयन
होंठों पे हंसी आँखों में नमी
मुस्कुराता रहा हूँ मैं
तेरें दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं।।
तेरे दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं
चाहे दुःख में रहूं
चाहे सुख में रहूं
मुस्कुराता रहा हूँ मैं
तेरें दर पे सदा
आता ही रहा हूँ मैं।।
tere dar pe sada aata hi raha hu main lyrics