तेरे दर ना आ पाए कैसी लाचारी है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










तेरे दर ना आ पाए
कैसी लाचारी है
इस जग में फैली है
कैसी महामारी है।।
तर्ज होंठों से छू लो।


क्यों देख रहा है तू
बच्चो को बिलखते हुए
उम्मीद भरी नजरे
कहती है छलकते हुए
लहरा दे मोरछड़ी
जो संकट हारी है
तेरे दर ना आ पाएं
कैसी लाचारी है।।


कैसे तुझे भाता है
तेरा सुना आँगन
क्यों तुझको नहीं खलता
बाबा ये अकेलापन
तेरे होते हुए बाबा
क्यों भगत दुखारी है
तेरे दर ना आ पाएं
कैसी लाचारी है।।









जो हमसे हुई गलती
उसे माफ़ करो देवा
खोलो अब दरवाजा
करने दो हमे सेवा
राशि कहे बाबा
तेरी महिमा भारी है
तेरे दर ना आ पाएं
कैसी लाचारी है।।


तेरे दर ना आ पाए
कैसी लाचारी है
इस जग में फैली है
कैसी महामारी है।।













tere dar na aa paye kaisi lachari hai lyrics