सुणिया कर सत पुरुषों की सार पाप कपट ने छोड़ परेरा - MadhurBhajans मधुर भजन
सुणिया कर सत पुरुषों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार
दुर्मति दूर निवार भाईड़ा
दुर्मति दूर निवार।।
दुर्मति में दर्शे नहीं दाता
पच पच मरे रे गिवार
करोड़ करणी काम नहीं आवे
तीर्थ करो रे हजार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
गृहस्थी का यही धर्म है
नर नारी के प्यार
मात पिता सतगुरुओं री सेवा
करनी बारम्बार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
ऊँच नीच को वर्ण ओलखो
कर्मो के अनुसार
जन्मजाति का अभिमान में
डुबोला मझधार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
खण्ड पिंड ब्रह्मांड में देखो
एक ही है करतार
एक बूंद का सकल पसारा
रचा सारा संसार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
धर्म समाय धरो दिल धीरज
चलो शब्द के लार
वेद शास्त्र सन्त पुकारे
ओ ही मोक्ष द्वार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
लादूदास मिल्या गुरु पूरा
दीनी शब्द की सार
खींवा साँच के आँच नहीं आवे
सिंवरो सिरजन हार
सुण ले सत शब्दों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार।।
सुणिया कर सत पुरुषों की सार
पाप कपट ने छोड़ परेरा
दुर्मति दूर निवार
दुर्मति दूर निवार भाईड़ा
दुर्मति दूर निवार।।
गायक दिलखुश जी चौधरी।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
sunya kar sat purusho ki saar lyrics