सुण लो नी साँचा वेण भीष्म राजा सोरठ भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










सुण लो नी साँचा वेण भीष्म राजा
दोहा रागन में सोरठ बड़ी
तो भोजन में बड़ी खीर
नाम बड़ो श्री राम को
प्रभु स्नान बड़ो गंगा तीर।
वह सोरठ एक नार थी
आ सोरठ एक राग
उन रटिया दुख उपजे
इन भजिया उपजे वैराग।
भूल कबु न कीजिये और
चार पुरुषां को संग
रोगी भोगी ओर जुहारी
पतंग मांजी उदंग।
सुण लो नी साँचा वेण भीष्म राजा
सुण लो जी साँचा वेण।।


ऐ पांडव हमारा मैं पांडवा रो रे
अर्जुन म्हारो साँचो शेण
भीष्म राजा सुण लो जी सांचा वेण।।









ओ द्रोपदी रो सीर दुशासन खिजियो रे
ऐ वर्जियो नी बुद्धा ढेण
भीष्म राजा सुण लो जी सांचा वेण।।


राजा दुर्योधन अंधो रो अंधो रे
ऐ फूटा रे विणरा नेण
भीष्म राजा सुण लो जी सांचा वेण।।


गांधारी रो पूत एक नही राखू रे
ओ राखु नही पाणी रेण
भीष्म राजा सुण लो जी सांचा वेण।।


पदम् भणे पण पाय लागू रे
भगतो को सुख देण
भीष्म राजा सुण लो जी सांचा वेण।।


सुन लो नी साँचा वेण भीष्म राजा
सुण लो जी साँचा वेण।।
गायक श्याम दास वैष्णव जी।
प्रेषक पुखराज जी पटेल।
9784417723










sun lo ni sancha ven bhishm raja lyrics