सुख चाहे तो कान्हा को मनाले भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
सुख चाहे तो कान्हा को मनाले
प्रभु चरणों में मन को लगाले
भवसागर से नैया पार लगाले
अब प्रभु का कीर्तन गा ले
अब प्रभु का कीर्तन गा ले
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
सबकुछ झूठा है इस जग में
एक श्याम नाम साँचा
जीवन व्यर्थ उसी का जो
हरी नाम को कभी ना ध्याता
पग पग में बंधन है कितने
पग पग में बंधन है कितने
जरा लगन प्रभु में लगाले
जरा हरी नाम तू गा ले
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
प्रभु करुणा के सागर है
ले लो उनसे करुणा
काम क्रोध मद लोभ को छोड़ो
हरी नाम से है भव तरना
काहे मन को तू भरमाए
काहे मन को तू भरमाए
जरा मन को तू राह दिखा दे
जरा हरी नाम तू गा ले
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
सुख चाहे तो कान्हा को मनाले
प्रभु चरणों में मन को लगाले
भवसागर से नैया पार लगाले
अब प्रभु का कीर्तन गा ले
अब प्रभु का कीर्तन गा ले
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
sukh chahe to kanha ko manale lyrics