सोहम बालो हालरो हारे निरमळ थारी जोत सिंगाजी भजन - MadhurBhajans मधुर भजन










सोहम बालो हालरो
हारे निरमळ थारी जोत।।


नदी सुक्ता के घाट पर
बैठे ध्यान लगाई
आवत देखीयो पींजरो
हारे लियो कंठ लगाई
सोहम बालो हालरों।।


सप्त धातु को पींजरो
हारे पाठ्याँ तिन सौ साठ
एक एक कड़ी हो जड़ाँव
कीवा पर कवि रचीयो ठाट
सोहम बालो हालरों।।


आकाश झुलो बाँधियाँ
हारे लाग्या त्रिगुण डोर
जुगत सी झलणो झुलावजो
हारे झुले मनरंग मोर
सोहम बालो हालरों।।









नही रे बाला तू सुतो जागतो
बिन ब्याही को पुत
सदाशीव की शरण म आयोहारे
झल बाँझ को पुत
सोहम बालो हालरों।।


अणहद घुँघरु बाजियाँ
अजपा का मेवँ
अष्ट कमल दल खिली रयाँ
हारे जैसे सरवर मेवँ
सोहम बालो हालरों।।


सोहम बालो हालरो
हारे निरमळ थारी जोत।।
प्रेषक घनश्याम बागवान।
बजरंज मंडल सिद्दीकगंज।
7879338198










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