सोच समझकर चाल मन मूरख जग में जीना थोड़ा रे - MadhurBhajans मधुर भजन










सोच समझकर चाल मन मूरख
जग में जीना थोड़ा रे
जग में जीना थोड़ा बंदे
जग में जीना थोड़ा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।


चुन चुन ककरी महल बनाया
जीव कहे घर मेरा रे
नहीं घर तेरा नहीं घर मेरा
चिड़िया रैन बसेरा रे
नहीं घर तेरा नही घर मेरा
चिड़िया रैन बसेरा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।


जब लग तेल दीवे में बाती
जब लग तेल दीवे
जगमग जगमग होरा रे
जगमग जगमग होरा रे
बीत गया तेल निमड़ गई बाती
हो गया घोर अंधेरा रे
बीत गया तेल निमड़ गई बाती
हो गया घोर अंधेरा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।


हरिया बनाती लाल बनाती
जैसे दुरंगी घोड़ा रे
हरिया बनाती लाल बनाती
जैसे दुरंगी घोड़ा रे
सांवली सूरत पर घास उगेगा
चुग चुग जासी डोरा रे
सांवली सूरत पर घास उगेगा
चुग चुग जासी डोरा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।









बोली तिरया यूं उठ बोली
बोली तिरया यूं उठ बोली
बिछुड़ गया मेरा जोड़ा रे
बिछुड़ गया मेरा जोड़ा रे
कहत कबीर सुनो भाई साधु
जिन जोड़ा तिन तोड़ा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।


सोच समझकर चाल मन मूरख
जग में जीना थोड़ा रे
जग में जीना थोड़ा बंदे
जग में जीना थोड़ा रे
सोच समझकर चाल रे मुरख
जग में जीना थोड़ा रे।।
गायक श्री अमरचन्द जी सोनी।
प्रेषक विशाल सोनी।
9928125586










soch samajh kar chal man murakh lyrics