श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी भजन लिरिक्स - Shri Krishna Govind Hare Murari Original Lyrics










श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्लोक सच्चिदानंद रूपाय
विश्वोत्पत्यादिहेतवे
तापत्रय विनाशाय
श्री कृष्णाय वयं नम।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
पितु मात स्वामी सखा हमारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।


बंदी गृह के तुम अवतारी
कहीं जन्मे कहीं पले मुरारी
किसी के जाए किसी के कहाये
है अद्भुत हर बात तिहारी
गोकुल में चमके मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा







श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।


अधर में बंशी ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में आधे आधे
हे राधा नागर हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तो के काम साधे
वहीँ गए जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।


गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तो कर मत रख
फल की इक्षा
ये सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।


राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा।।


श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
पितु मात स्वामी सखा हमारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
स्वर श्री रविंद्र जैन।










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