श्री केशव चालीसा हिंदी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










श्री केशव चालीसा
दोहा पात पात में केशव जी
हर पल केशव दास
शिला रूप जगन्नाथ जी
दो श्री चरणों में वास।।


जय केशव जय केशव दासा
होत प्रात करे जग अरदासा।।
द्वापर में हरि नर तन धारा
कान्हा बन के कंस संहारा।।







ग्वाल बाल नन्दलाल समेता
धेनु चरा धन्य भयइ देवता।।
ये भी देखे श्री खाटू श्याम चालीसा।


धाम पुरी गौ लोक समाना
बसहिं भ्रात भगिनी संग कान्हा।।
भक्त था केशव दास तिहारा
जै जगन्नाथ जपत नहीं हारा।।
केशव दास भये बड़े ज्ञानी
धरें ध्यान जपते हरि वाणी।।


हसामपुर भया ग्राम सुहाना
जन्में केशव ये जग जाना।।
जन्म लियो कुल क्षत्रिय माही
गोविंद को कदे भूल्यो नाहिं।।
लागी लगन पुरि मैं जाऊं
इष्ट मेरे के दर्शन पाऊं।।


सष्टम दरस करहिं पद जावा
धरहिं ध्यान पुनि पुनि सिर नावा।।
पल सप्तम दर्शन की आई
कुटुम्ब गांव तन करे मनाही।।
अडिग भक्त ने अश्व मंगाया।
ना दुर्बल तन से घबराया।।


श्रद्धा अतुल देखी भगवन्ता
करी केशव पे कृपा अनन्ता।।
विप्र रूप धरि ठाकुर आयो
राह बीच केशव समझायो।।
लौट पथिक पथ संकट भारी
दुष्ट लूट मारतनर नारी।।


वृद्ध अवस्था दुर्बल लोचन
खावहिं सिंह जान तोहे भोजन।।
करत नमन केशव मुस्काया
अटल वही मम ईश जो भाया
जाए पुरी मै करूं विश्रामा
चला शपथ ले मै हरि नामा।।


धन्य दास ठाकुर हर्षाए
पुष्प सुमन नभ ने बरसाए।।
भयत मेल हरिदास निराला
भक्त मिलन आए दीनदयाला।।
लोचन दिव्य दिए जगन्नाथा
दास देख पुरी टेकहिं माथा।।


पूर्ण भई तेरी दास प्रतिज्ञा
लौट तुरंत केशव हरि आज्ञा।।
पांव पकड़ केशव कर जोड़े
मैंने भजन किए प्रभु थोड़े।।
नाथ प्रसन्न वर मांगो दासा
कहे केशव यहां करो निवासा।।


उत्तम धर्म धरा सुन नामा
पुरूषोत्तम पुरा बने मम धामा।।
जहां गिरी खैबड़ पर्वत प्यारा
कहत करहिं जगन्नाथ इशारा।।
गर्जत खैबड शिला गिरावै
वही रूप मोहे अति मन भावै।।


जहां अश्व दे टाप अगेता
निकसे नीर कुई कर चेता।।
अंतर्ध्यान भए भगवाना
बसे वहीं जहां दियो ठिकाना।।
शिला रूप प्रकटे जगदीशा
पूज जगत पावै आशिषा।।


पौष बिदी नौमी तिथी आवै
मेला भरत कवि जन गावै।।
केशव गान करें विद्वाना
सुनहिं भक्त जेहिं वेद बखाना।।
जगमग मेला लागै जन्नत
जला मशालें जन मांगे मन्नत।।


सदा करो जगन्नाथ भरोसा
कढ़ी खींचड़ो मिलै परोसा।।
तुम जगदीश तुम्हीं जगन्नाथा
गावहिं देव मुनि जन गाथा।।
जय केशव जेहिं नाम उचारा
तां के ह्रदय बसहिं उजियारा।।


नमो नमो जय केशव दासा
सुख सुमति का कर दो वासा।।
भक्त भी केशव हरि भी केशव
जेहिं ध्याया तेहिं पाया केशव।।
जो पढ़े नित केशव चालीसा
तांह पे कृपा करहिं जगदीशा।।
जय जगपति दुःख भंजन हारी
ओम सैन आया शरण तिहारी।।
दोहा बहिन सुभद्रा दाऊ जी
संग केशव भगवान
जिन पर कृपा आपकी
वही श्रेष्ठ धनवान।।
इति श्री केशव चालीसा
लेखक प्रेषक ओम सैन जी।
9464655051










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