श्रध्दा सबूरी मन में रक्खो साई वचन अनमोल लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










श्रध्दा सबूरी मन में रक्खो
साई वचन अनमोल
सबका मालिक एक है बंदे
ये ही जुबाँ से बोल।।
तर्ज चाँदी जैसा रंग है तेरा।


जन्नत से भी अधिक मनोरम
शिरडी ऐसी बस्ती
सुबहशाम और आठों याम है
रहमत सदा बरसती
नहीं है बढ़कर इसके जैसा
दुनियाँ की कोई हस्ती
डोर जीवन की सौंप दे इनको
ना तू दरदर डोल।
सबका मालिक एक है बंदे
ये ही जुबाँ से बोल।।


तनमन से तेरी करूँ मैं सेवा
ऐसी किरपा कर दो
भक्तों के हिरदय में अपनी
भक्ति भावना भर दो
कृपा तुम्हारी बनी रहे
ऐसा तुम हमको वर दो
मन मन्दिर में तुम्हें बिठा लूँ
अंतरपट तू खोल।
सबका मालिक एक है बंदे
ये ही जुबाँ से बोल।।









हर मुराद पूरी होती है
जो श्रद्धा से ध्याये
ऊदी तू माथे पे लगा
दिल खुशियों से भर जाये
जो सच्चे हिरदय से माँगे
मनवांछित फल पाये
परशुरामअब बाकी जीवन
मत माटी में रोल।
सबका मालिक एक है बंदे
ये ही जुबाँ से बोल।।


श्रध्दा सबूरी मन में रक्खो
साई वचन अनमोल
सबका मालिक एक है बंदे
ये ही जुबाँ से बोल।।
लेखक एवं प्रेषक परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानसमण्डल वाराणसी।
मो9307386438










shradha saburi man me rakho sai bhajan lyrics