शिव शिव भोले नाथ अरज सुन लेना भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










शिव शिव भोले
नाथ अरज सुन लेना
हे डमरू धर हे गिरिजापति
भक्ति अपनी देना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।
तर्ज मूरख बन्दे क्या है रे जग में।


जो तेरे दर पर आया
वो कृपा तेरी पाया
नाम तेरा जो ध्याया
वो तुझको प्रभु है भाया
मुझको भी हे भोले बाबा
अपनी शरण में लेना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।


तुम कैलाशी घट घट वासी
डमरूधर अविनाशी
गौरा जी सँग छवि तुम्हारी
सबके मन को भाती
मै भी देखूँ छवि तुम्हारी
इतना वर मुझे देना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।









तन पर भस्म है साजे
हाथ त्रिशूल विराजे
कानो में कुण्डल सोहे
सिर पे चँदा राजे
मृगछाला है तन पे लपेटी
हार नाग का पहना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।


दुनिया से मैं हार के भोले
तेरी शरण में आया
दिनों के हो नाथ दया तुम
अब मुझपे बरसाना
नैया भव से पार हे भोले
शिव की भी कर देना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।


शिव शिव भोले
नाथ अरज सुन लेना
हे डमरू धर हे गिरिजापति
भक्ति अपनी देना
शिव शिव भोलें
नाथ अरज सुन लेना।।
स्वर चांदनी सरगम।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान 8818932923










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