शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई कथा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई
दोहा शिव शंकर रो ब्यावलो सुनो लगाकर ध्यान
ज्ञान बढे गुण उपजे होवे परम् कल्याण।
शिव शंकर परणीज सी हिमाचल के द्वार
भक्तों को कर जोड़ कहूं सभी करो जय कार।
शिवजी लगाई समाध वर्ष द्वादश तांही
शक्ति हुई अलोप गई मृत्यु लोक रे माही।
तीन लोक री माता केहिजे जाणे जुग संसार
हेम नृप ऊजीण में गवरा लियो अवतार
राम गुण गाओ भाई
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सू गावों भाई।।
बोले शंभू देव नारद तुम पीछा जावो
हेरो जुग संसार वेग सू पतो लगावो
पाव पग पलटो मती थे मती लगा दो बार
बेमाता ने पूछे अमिया कठे लियो अवतार
राम गुण गांवो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गांवो भाई।।
दोहा नारद वहां सू चालिया गया विधाता रे द्वार
जल्दी मोय बताओ अमिया कठे लियो अवतार।
भे मातारा बोल वेगरी सूरत संभावो
साँचा देऊ सैलाण वेग पथ उण री जावो
कोस छिनाणु बीच में नगर उज्जीणी गांव
हिमाचल री पुत्री कहिजे गवरा उण रो नाव
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
नारद पंथ निहारक चलतो बात बिचारी
बिन पँहुचियों दरबार बात कुण केवे सारी
कुण लोगों की गरज करे करो राग मन मोय
नारद री नृप हैम ने आपे ही मालूम होय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
दोहा शहर सुणी सब मग्न भया नजर न आवे कोय
धर अम्बर पाताल में आ राग अचम्बो होय।
हुक्म दियो हुजूर तुरन्त दुरबीन मँगाही
चढ़िया ऊपर महल दूर सू दृष्टि लगाही।
एक सन्यासी है खड़ा राग लीवी मन मोय
राजा मन में सोचियो रे ये तो नारद होय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
दोहा कर जोड़ियों विनती करूँ म्हारे सिर पर धरदो हाथ
जन्म सुधारो आप हमारो म्हारे घर पधारो नाथ।
राजाइधक रूप गुण दूण में वंश ऊंच में होय।
ओ जस कहिजे सज्जन रो सगपण करणो मोय।
नारद रिजक रूप री ओ बात रावजी कांई बताऊँ।
नहीं कोई नृपत राव कैड़ा क्षत्रिय बताऊँ।
रीस क्रोध लाय जो मतो ओ आयो हूँ शरणाय
अमिया पुत्री आपरी देवो शंकर ने परणाय।
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
कोप हिमाचल राव मन में क्रोध उपाया
काढ़ पोळ रे बाहर धक्का दस बीस लगाया
हरख मन पाछो लियो रे जरणा लीवी जाय
भगत कहिजो राम रा ओ नहीं तो देता मार
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
दोहा साँच कहूँ तो रीसजो झूठ कहियो नहीं जाय
थोरे सगपण कारणे शिव म्हारी मरे बलाय।
नारद भुजा हुई बल हीन थका दोही नैण शराती
मंदी पड़गी ज्योत नहीं दिवले में बाती
बत्तीसों उत्तर दियो रे नहीं ब्याव में सार
शिव जी थारे कारणे नारद खाई मार
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
शहर उजीणी गाँव बसे हिमाचल राजा
सती बड़ो संसार धर्म रा बाजे बाजा
राजा प्रजा देवता सभी धरे विश्वास
आठो पहर रेवे लगन में करे कृष्ण ने याद
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
सुण नारद रा बोल शंकर ने रीस उपाही
चढ़ कंगर महादेव शंख री घोर सुणाही
तीन लोक कंपन भया रे चेतन होया जीव
हुकुम दियों हाजिर खड़ा रे सभी नार ने पीव
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
घड़िया बीती जाय पलक में पहर बिताई
राजा ऊपर कोप नगर ने त्रास दिखाई
एक पलक लागी नहीं नगरी भागी जाय
जीवत दंड दियो प्रजा ने आग दीवी लगाय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
राजा मैं तो ताबेदार हूँ मेल दियो अभिमान
मैं थोने कन्या दिवी थे देवो जीवत दान
राणी नई कोई मायर बाप नहीं कोई कुटुम्ब संगाती
जहर हलाहल खाय घूमे जिव मेंगल हाथी
के थोरी मत दुरमति भाई रे के भई मति और
भूपत नरपत छोड़ने दीवी खुपरिया खोड
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
राजा राणी जाण अजाण इन्हें मत जाणो कामी
तीन लोक नाथ इणामें कैड़ी खामी
कालन को महाकाल है सब देवन को देव
तीन लोक और चौदह भवन में अखेह अमर महादेव
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
चोखो सावो देखने रे भाया देखने रे दसों दोष टलाय
ब्राह्मण वेद बुलाय के रे दिनों लग्न लिखाय
वारी वारी रे भोलानाथ ने जी
लग्न जतन कर राख गुरा कैलाश सीधावो
वहाँ पैदल पहुंचो नाय भले कोई बैल लेजावो
घणी जेज कर दो मत ओ जल्दी जाजो आय
थां आया भूपत बुलाव सा जी कुंकु पत्री लिखाय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
जोशी ने बुलाय राणी यूँ केवण लागी
नैड़ों नहीं कैलाश जीव ने राखो जागी
जोड़ी रो वर हेर ने छत्रपति ले आय
वो पत्रपति धरियो रेवे मैं कन्या देऊ परणाय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
दासी संदेशो भेज गुरां ने बुलाया महला माही जी
कांई कहियो थाने म्हारा पिताजी कांई कहियो म्हारी माई जी
सांची केवो गुरां जी म्हाने सावो कठे लिजाई जी
जावो बाई सरगा ने मैं सिर पर हुक्म उठाई जी।
ब्राह्मण हठ मत पकड़ो पार्वती
महादेव परणवा ने आवेला।
थूं जाणे म्हारे आवेला बराती
वो तो भूतों री जान बणावेलो।
हठ मत पकड़ो पार्वती।।
थूं जाणे म्हारे हाथी घोड़ा
वो तो नांदिये सवार होय आवेला
हठ मत पकड़े पार्वती।।
थू जाणे म्हारे महल माळीया
वो तो भाकर पे धूणी धुकावेलो।
हठ मत पकड़ो पार्वती।।
थू मत जाणे वठे गहणा आभूषण
वो तो मणियों री माळा पहरावेला।
हठ मत पकड़ों पार्वती।।
थू मत जाणे वठे शॉल दुशाला
वो तो अंग पे भभूती रमावेलो
हठ मत पकड़ो पार्वती।।
थूं मत जाणे वठे महंगी मिठाई
थने आक धतूरा खवावेलो
हठ मत पकड़ो पार्वती।।
पार्वती कदम नांदियो गंग हैं पदम भळके पाँव
काळो नाग गले में सोवे सावो उन्हें दे आव
जोजन रा पल खोल शंकर समाचार पुछाया
अम्बर का वनवास कहो तुम कैसे आया
आयो नगर ऊजीण सू जी लायो लग्न लिखाय
ब्राह्मण कहिजूँ जात रो रे उच्छब हेम घर माय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
खुशी हुआ मन माय शंकर जी राख घणी उड़ाई जी
मनचाहा भोजन मंगाया सन्तों ने तुरन्त दिया जिमाई जी
लागे सो ही लीजिए रे तोय लग्न दस्तूर
मांड पल्लो हम देत हैं ओ कंकड़ पत्थर भरपूर
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
लग्न लिखा सिर मेल जोग पल शंकर लगायी
मास रया खट तीन जीते तो बिलम करायी
तेरस तीसरे पोर रा हरि लग्न ले हाथ
शिव जी के रे नांदिया अब थारे सहारे बात
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
हवा ने चाले पाव धूल से ऊपर अंदर
करी पंखेरू चाल पलक में कोस छियेत्तर
सिर धूण शिव उतरे कर कमरो ठेठाय
शिवजी के रे नांदिया मैं लेऊं थने उठाय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
भांग रगड़ ने घोट चौगणा अमल खाया
आक धतूरा खाय देह में उदंग दिखाया
नशा किया शिव चौगणा चले अनंतो कोस
पूर् बाज रही ताज रही रहयो अचंभे चूण
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
नंद केसर रा लाल उजीणी आईज वेला
जल्दी मोय उतार मेणीया सखियां देला
सब सखियां मिल पूछियो गले बागम्बर पूर
जान बता दे जोगिया थारो खप्पर भरा भरपुर
हँसिया शंभू देव बत्तीसू दंत दिखाया
नगर उजीणी शहर बींद तो हम ही आया
जद कवरा रो रूप है जद करें उनमान
खांडे बांडे सींग पूँछ बिच आ ही निरख लो जान
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
दोहा कई हंसी मुस्कुराय कांही गत इण री जाणी
क्यों जलमी थू धीव डूब मर बहते पानी
गवरा तो अर्ज गुजारे भोला शिव जी ओ
सुण लो अर्ज हमारी जी
राख ने तो परी निवारो भोला शिव जी हो
माथे तुम मोड़ियो बंदावसी
नाग ने परा तो निवारो भोला शिव जी ओ
गले माई जिनाही पैरावजो
इच्छाधार बरात पंचांणु शंख पूराया
सुर तैतिसो देव सभी तो चढ़कर आया
गिर्द कोट चौगान में सभी पहुंचे आय
महादेवरी जान बणी झट जोजन रे माय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
बरसो म्हारा गुदला बादळ बरसो सवाया
खोलो कड़िया रा फेटा रालो रुपया
बरसो म्हारा ब्रह्मा विष्णु बरसो सवाया
खोलो कड़िया रा फेटा रालो रुपया
बरसो म्हारा पाँचू पांडु बरसो सवाया
खोलो कड़िया रा फेटा रालो रुपया
बरसो म्हारा हड़मत जोधा बरसो सवाया
खोलो कड़िया रा फेटा रालो रुपया
आया बधाई दार कूक तो पहली आयी
दिवी हाट ने तोड़ राव ने पतो लगायी
मूथो स्वामी भेज ने दरवाजा बिलमाय
पोळ सभी री धोड़ दी रे तोरण कठे बंधाय
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई।।
बोले बधाई दार हमारा मुँह एठावो
चलो भीम के साथ पका पकवान जिमावो
भीम रसोड़े जिमिया रे सारो ही सामान
हेम नृप बे हरख हुआ तो साबत बिगड़ी शान।
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
बजे तमागुण तूर गिड़गड़ी ढ़ोल निशाणा
मिलियो शहरिये रो लोग आन वे चौक समाणा
संभेले शिव उत्तरे गळे अफीमण ताग
प्याला पीवे प्रेम रा रे जान बणी मतवाल
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
खाती अजब बुलाय तोय तोरण घड़ लाजे जी
पेरी बन्ध लगाय पेरी पर रत्न जड़ाजे जी
हरी पाँखया रो सुवटो जी चोंचा रत्न जड़ाय
तोरणीयो तारो री छाया बांधे नृपत राय
बनडों भभूती वाळो आयो रे बनड़ो भभूती वाळो
गळे नाग हैं काळो आयो रे बनड़ो भभूती वालो
संग नांदिये वाळो आयो रे बनड़ो भभूती वालो
भूर की जटा रे वाळो आयो रे बनड़ो भभूती वाळो।।
दोहा ब्रह्मा वेग बुलाय के चंवरी चौक पुराय
विष्णु अवती घृत री वेदा सहित कराय
पहलो फेरो लीनो गवरजा भाभोसा री धिवड़ली
दूजो फेरो लीनो गवरजा माता री लाडकडी
तीजो फेरो लीनो गवरजा मामा री भाणकली।
चौथो फेरो लीनो गवरजा होया रे पराई।
गाया रा गजथाट दीना सुरह गाय भी दीनी
होई रे धर्मिये री भेळा ओ राज
हाथी घोड़ा दिया दान चंद्रावल अर्पण कीना
होई रे धर्मिये री भेळा ओ राज
हाथों रा गजफूल बाई ने माता अर्पण कीना
होई रे धर्मिये री भेळा ओ राज
काना रा गजमोती बाई ने राजा हिमाचल दीना
होई रे धर्मिये री भेळा ओ राज।।
दोहा ईता दिया शिव सेवरे बहुत बढ़ायो मान
शिव शंकर परणीज तो दियो कपासियो दान
हे इतरो भाभोसा रो लाड गवरजा सिद चाल्या
हे इतरो माताजी रो लाड गवरजा सिद चाल्या
हे इतरो मामाजी रो लाड पार्वता सिद चाल्या
हे आयो परदेशी सुवटो वो तो लेग्यो टोली माहू टाळ
पार्वता सिद चाल्या
सखिया गावे गीत जान ने सीख दिराई
सब सखियों रे साथ गवरजा बायर आई
माता मिले रे पिता मिले जी मिलियो सारो साथ
नैणा नीर मावे नहीं रे माता मिली भर बाथ
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर रो ब्याव प्रेम सू गावो भाई।।
तेरस ने सोमवार आवास कर रात जगावे
गावे शिव रो ब्याव बास बेकुंटो पावे
धेनदास री विनती रे सुणजो चित लगाय
गावे बजावे प्रेम सू रे होवे अमरापुर में वास
राम गुण गावो भाई
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई
शिव शंकर को ब्याह प्रेम सु गावों भाई।।
गायक श्री हनुमान सिंह इन्दा।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
shiv shankar ro byav prem su gaavo bhai lyrics