शिव ही बसे है कण कण में केदार हो या काशी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










शिव ही बसे है कण कण में
केदार हो या काशी
द्वादश ज्योतिर्लिंग है
हर दिशा में है कैलाशी
शिव ही बसे हैं कण कण में
केदार हो या काशी।।


प्रभु राम भी करे है पूजा
जिनकी रामेश्वर कहलाए
कृष्ण प्रेम में नाचे भोले
गोपेश्वर बन जाए
अमलेश्वर घूमेश्वर शंकर
भीमेश्वर अविनाशी
द्वादश ज्योतिर्लिंग है
हर दिशा में है कैलाशी
शिव ही बसे हैं कण कण में
केदार हो या काशी।।


भस्म है ओढ़े देह पर महिमा
महाकाल की भारी
सोमनाथ मल्लिकार्जुन शंभू
नागेश्वर त्रिपुरारी
बैरागी जोगी है ऊंचे
शिखरों का हैं वासी
द्वादश ज्योतिर्लिंग है
हर दिशा में है कैलाशी
शिव ही बसे हैं कण कण में
केदार हो या काशी।।


चंद्र है सिर पे नाग गले में
जटा में गंग समाए
वैद्यनाथ भोले भंडारी
डम डम डमरू बजाए
त्रयंबकेश्वर शिव शंकर प्रभु
राघव ये सुखराशि
द्वादश ज्योतिर्लिंग है
हर दिशा में है कैलाशी
शिव ही बसे हैं कण कण में
केदार हो या काशी।।









शिव ही बसे है कण कण में
केदार हो या काशी
द्वादश ज्योतिर्लिंग है
हर दिशा में है कैलाशी
शिव ही बसे हैं कण कण में
केदार हो या काशी।।





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shiv hi base hai kan kan me kedar ho ya kashi lyrics