शरण गोपाल की रहकर मुझे किस बात की चिंता लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
शरण गोपाल की रहकर
मुझे किस बात की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता
तू कर चिंतन मगन मन से
तू कर चिंतन मगन मन से
ना कर दिन रात की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
हुआ था जन्म जब तेरा
दिया था दूध आँचल में
किया यदि शाम को भोजन
ना कर प्रभात की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
वो देते जल के जीवों को
वो देते थल के जीवों को
वो देते नभ के जीवों को
उससे हर जीव की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
सहारा ले के गिरधर का
आस क्यों करता लोगो की
हाथ प्रेमी वही फैला
जिसे हर हाथ की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
अंजलि कर सुमन ले के
किया अर्पण प्रभु जीवन
दरश शबरी ने पाया था
करी रघुनाथ की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
शरण गोपाल की रहकर
मुझे किस बात की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता
तू कर चिंतन मगन मन से
तू कर चिंतन मगन मन से
ना कर दिन रात की चिंता
शरण गोंपाल की रहकर
तुझे किस बात की चिंता।।
स्वर अंजलि द्विवेदी।
sharan gopal ki rahkar mujhe kis baat ki chinta lyrics