शरणों छोड़ दाता कहाँ जाऊँ कबीर साहेब भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










शरणों छोड़ दाता कहाँ जाऊँ
मेरे औरन कोई
तुम से दूजा काल हैं
देखिया कर टोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।


मात पिता हेतु बंधना
आप रहे सुख रोई
मेरे तो सब सुख आप हो
आप रहे मुख जोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।


गुण तो मुझमें हैं नहीं
औगण बोतेरा होई
ओट लीनी आपरे नाम री
राखोनी पत सोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।


मैं गरजी अर्जी लिखू
मर्जी जस होई
अर्जी विपत्ति लिखू आपने
राखु नहीं गोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।









सतगुरु तुम चिन्यावणा
मत बुध्दि सब खोई
सकल जीवों रे आप हो
दूजा ना कोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।


धर्मीदास सत साहिबा
घट घट में समोई
साहिब कबीर सा सतगुरु मिलिया
आवागमन निवोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।


शरणों छोड़ दाता कहाँ जाऊँ
मेरे औरन कोई
तुम से दूजा काल हैं
देखिया कर टोई
शरणो छोड़ दाता कहाँ जाऊँ।।
स्वर सन्त नैनी बाई जी खारिया।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार जी।
आकाशवाणी सिंगर। 9785126052










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