शर्म से मरगी रे भोला थारा लांबा लांबा केश लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










शर्म से मरगी रे भोला
थारा लांबा लांबा केश
लांबा लांबा केश थारा
लांबा लांबा केश
शरम से मरगी रे भोला
थारा लांबा लांबा केश।।


डाढ़ी न कटाऊं थारी
जटा न कटाऊं
दुर गंगा न हटाऊ
दूर चंदा ने हटाऊ
छोड़ दे भांग का गोला
थारा लांबा लांबा केश।।


शुक्र सनीचर संग में आया
देख देख मेरा जी घबराया
संग में भूता का टोला
थारा लांबा लांबा केश।।


सखी सहेलियां संग में आई
ना जाने मन काईं काईं केहली
छोड़ दे भस्मा का चोला
थारा लांबा लांबा केश।।









बीरबल तेरा भजन बनाया
धर्मचंद नामा ने गाया
संग में निर्मल साउंड रे
थारा लांबा लांबा केश।।


शर्म से मरगी रे भोला
थारा लांबा लांबा केश
लांबा लांबा केश थारा
लांबा लांबा केश
शरम से मरगी रे भोला
थारा लांबा लांबा केश।।
गायक मुकेश कुमावत।
निर्मल साउंड
धर्मचन्द नामासांगानेर
9887223297










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