शादी चले रचाने शंकर भूत बजाए थाल भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
शादी चले रचाने शंकर
भूत बजाए थाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
तर्ज चांदी जैसा रंग है तेरा।
शादी चले रचानें शंकर
अंग भभूत लगाए
भूत प्रेत सब मिलजुलकर
दूल्हा को खूब सजाए
कोई ताली दे दे नाचे
कोई ढोल बजाए
देख बराती अद्भुत शिव के
मैना भयी बेहाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
शिव की चली बारात आज
सब सोए मसानी जागे
बाघम्बर को कसे सर्प से
दूल्हा चलते आगे
विष्णु के वाहन को देखकर
सर्प कमर से भागे
ज्यो ही सर्प खिसके कमर से
गिरे बाघम्बर छाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
सर्प के मोर सर्प के मढ़िया
सर्प गले से लगाए
बसहा पर बैठे है दूल्हा
भूत चंवर दुराए
नंगे लोग को देख के भड़के
कोई आगे ना आए
रूप देख के भागी मैना
पटक के पूजा थाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
नारद लगे मनाने मैना
मानो बात हमारी
देव दनुज मुनि नाग मनुज
सब इन चरणों के पुजारी
रूप देख ना घबराना
है इनकी लीला भारी
अमर सुहाग रहे गौरी की
इनके बस में काल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
शादी चले रचाने शंकर
भूत बजाए थाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल
शोर हुआ हिम की नगरी में
दूल्हा है कंगाल।।
shadi chale rachane shankar bhoot bajaye thaal lyrics