सत्संग वह गंगा है जिसमे जो नहाते है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
सत्संग वह गंगा है
जिसमे जो नहाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
बोलो राम राम राम
बोलो श्याम श्याम श्याम।।
ऋषियों और मुनियो ने
इसकी महिमा गाई
ऋषियों और मुनियो ने
इसकी महिमा गाई
सत्संग ही जीवन है
ये बाते समझाई
सत्संग ही जीवन है
ये बाते समझाई
ये वेद बताते है
ये ग्रंथ बताते है
ये वेद बताते है
ये ग्रंथ बताते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
बोलो राम राम राम
बोलो श्याम श्याम श्याम।।
शब्दो के मोती है
सत्संग के सागर में
शब्दो के मोती है
सत्संग के सागर में
सुख ही सुख मिलता है
इस सुख के सरोवर में
सुख ही सुख मिलता है
इस सुख के सरोवर में
इस ज्ञान सरोवर में
जो डुबकी लगाते है
इस ज्ञान सरोवर में
जो डुबकी लगाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
बोलो राम राम राम
बोलो श्याम श्याम श्याम।।
इस तीर्थ से बढ़कर
कोई तीर्थ धाम नही
इस तीर्थ से बढ़कर
कोई तीर्थ धाम नही
दुख क्लेश का संतो
यहां कोई काम नही
दुख क्लेश का संतो
यहां कोई काम नही
आते है भगत जो भी
वो ही सुख पाते है
आते है भगत जो भी
वो ही सुख पाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
बोलो राम राम राम
बोलो श्याम श्याम श्याम।।
सत्संग वह गंगा है
जिसमे जो नहाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
सत्संग वो गंगा है
जिसमे जो नहाते है
पापी से पापी भी
पावन हो जाते है
बोलो राम राम राम
बोलो श्याम श्याम श्याम।।
गायक परमानंद सरस्वती जी।
प्रेषक पुखराज जी पटेल।
9784417723
satsang vo ganga hai isme jo nahate hai lyrics