सती माता कथा राजस्थानी - MadhurBhajans मधुर भजन
सती माता कथा राजस्थानी
ए बीरू रे विक्रम संवत १७२४ में
ज्येष्ठ सुद है चौथ बीरा रे
विक्रम संवत १७२४ मे
कोई ज्येष्ठ सुद है चौथ भई रे
बुधवार एक जोर रो रे।।
ए बीरा मारा एक समय री वार्ता
ए बीरा मारा एक समय री वार्ता
सुनजो ध्यान लगाय भई रे
बिजोवा पीर कर्म सिंहजी हा
मन मे लियो रे ठान भई रे
बिजोवा पीर कर्म सिंहजी
कोई मन मे लियो रे ठान बीरारे
लेवु समाधि जुग मायने हा।।
ए बीरू रे जद रे समाधि रो मन ठानीयो
ए बीरू रे जद समाधि रो मन ठानीयो
माता अम्बा करीयो विचार
भई रे जद समाधि रो मन ठानीयो
ओ भाई मारा अरे संत स्वरूपी रूप धारीयो
ओ माता मारी ओ आई माँ
संत स्वरूपी रूप धारीयो
आया कर्म सिंहजी रे पास भई रे
संत स्वरूपी रूप धारीयो रे।।
बेटा मारा समाधि लेवन सु कई होवसी
आप करदो अग्नि स्नान
बेटा मारा समाधि लेवन सु कई होवसी रे
ओ बेटा मारा दुनिया गावे थोरा गीतडा
ओ बेटा मारा दुनिया गावे थोरा गीतडा
थारा जग में होसी नाम
बेटा रे दुनिया गावे ओ थारा गीतडा रे।।
ओ कर्म सिंहजी अम्बा रो ध्यान मन धरीयो
ओ कर्म सिंहजी अम्बा रो मन ध्यान धरीयो
अरे सुन मारी अरदास मैया ओ
समाधि नहीं मे लेवसु
मे तो करसु अग्नि स्नान
मैया मारी शक्ति देवो मोटी मावडी।।
ओ कर्म सिंहजी लकड़ी चन्दन सु मंगावीया
ओ कर्म सिंहजी लकड़ी चन्दन सु मंगावीया
आप बैठा उनपर जाय बीरा रे
अरे याद करे आई मात ने
देवी प्रकटो आपो आप भई रे
आप बैठा जाय बीरा रे याद करे आई मात ने
देवी प्रकटो आपो आप भई रे
अग्नि देवो इन दास ने ओ।।
ओ बीरू रे वन्दना बाई मन सोचीयो
ओ बीरू रे वन्दना बाईसा मन सोचीयो
ए चाल्या सरवरीया री पाल बीरा रे
वन्दना बाईसा मन मे सोचीयो रे।।
ओ बीरू रे पतिव्रता धर्म पालता
ओ बीरू रे पतिव्रता धर्म पालता
कोई लियो मन मे ठान भई रे
सती होवु पति साथ मे रे।।
ओ बीरू रे सतवंती सत्त जागीयो
ओ बीरू रे सतवंती रे सत जागीयो
ओ चाल्या सरवरीया री पाल भई रे
भीमजी कोटवाल सोचीयो
दिनी बिनी चुनडी ओडाय भई रे
भीमजी कोटवाल मन मे ठानीयो
कोई दिनी बिनी रे चुनडी ओडाय
वटे वन्दना बाईसा श्राप देवीयो रे।।
ओ पिरानी सा भीमजी कोटवाल सु बोलीया
ओ पिरानी सा भीमजी कोटवाल सु बोलीया
कोई सुनजो मारी बात
कोटवालो पीडी नर पीडी कलंक लागसी ओ।।
ओ कोटवालो धोलो दाग थोरे लागसी ओ
कोटवालो धोलो दाग थोरे लागसी
ए सतीयो रा वचन है आज
कोटवालो धोलो दाग थोरे लागसी ओ।।
ओ पिरानी सा तलाब री पाल ऊपर आविया
ओ पिरानी सा तलाब ऊपर आविया
अरे पहुंचे सीता रे पास बीरा रे
अरे सीता ठंडी हो गई रे
भई रे करे है पति ने याद
साचा पति जीमनो हाथ बारे काडजो ओ रे।।
ओ कर्म सिंहजी अरे हाथ बारे काडीयो
ओ कर्म सिंहजी हाथ बारे काडीयो
पिरानी सा पकड्यो हाथ भई रे
ध्यान धरीयो आई मात रो
जद प्रकटी सीता आप भई रे
सती होया जुग मायने रे।।
ओ बीरा मारा चम्पा घोडी स्वरूप देवी रो
ओ बीरा मारा चम्पा घोडी स्वरूप देवी रो
अरे कोई सत आयो उन माय भई रे
करे स्नान वा तलाब मे
पचे कुदी सीता मे जाय भई रे
सामी ऊबी एक आम्बली हा।।
ओ भई मारा उन रे आम्बली रा पेड पर
ओ भई मारा उन रे आम्बली रा पेड़ पर
कोई बैठो मोरीयो आप भई रे
सत जागो मोरीया मायने
कोई कुदीयो अग्नि माय भई रे
सत जागो उन माय ने
कुदीयो अग्नि माय भई रे
चार जीव सती हो गया रे।।
ओ बीरा मारा तलाब किनारे छतरी जोर री
ओ बीरा मारा तलाब किनारे छतरी जोर री
जटे परचा पडे रे अपार भई रे
मनंछा यहाँ फल मिल जावे
कोई दर्शन किया दुख जाय
भई रे सती होया जुग मायने रे।।
ओ बीरा मारा बिजोवा पीरो री महिमा जोर री
ओ बीरा रे बिजोवा पीरो री महिमा जोर री
ओ सफेद गादी री फरमान भई रे
बिजोवा पीरो री महिमा जोर री
कोई सफेद गादी रो फरमान भई रे
नारायण सिंहजी बात बताय दी
कोई गावे माधुसिंह आप भई रे
शंकर भजन बनावीयो रे।।
ओ बीरू रे सती होया बिजोवा मायने
ज्यारा गुन गावे नर नार
भई रे सत सतीयो री वार्ता रे।।
गायक शंकर जी टाक।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818
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