संत शिरोमणि ऋषि दधीचि की सुनलो अमर कहानी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
लाखो दानी देखे
ना कोई ऐसा महादानी
संत शिरोमणि ऋषि दधीचि
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
ऐसी तपस्या किन्हीं
सारा इन्द्र लोक घबराया
कोई भी समझ ना पाया
उनकी अलौकिक माया
देखी भक्ति की शक्ति
सबको हुई हैरानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
लेकर के अस्त्र शस्त्र
संग अपने इन्द्र आया
वो लाख जत्न कर हारा
फिर भी ना जीत वो पाया
जब देखी महीमा भारी
हो गया शर्म से पानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
फिर समय ने पलटी मारी
सब तहस नहस कर दिन्हा
व्रत्रासुर ने छल बल से
इन्द्रासन वश कर लिन्हा
अब शुरू हुई थी यहां से
विधी की लिखी कहानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
अब परम पिता ब्रम्हाजी
के पास इन्द्र आया
घबरा कर साँस फुलाकर
क्या बिता हाल सुनाया
अब क्रपा कर सुलझाओ
मेरी ये परेशानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
ब्रह्मजी सोचके बोले
हे इन्द्र पास मेरे आओ
जल्दी से ऋषि दधीचि
की शरणागत हो जाओ
जा माँगले तन की अस्थी
ना कर तू आना कानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
अब इन्द्र पड़ा चरणों मे
और बोला सुनो मुनीवर
दो दान अपने तन का
इस जग कल्याण के खातिर
ऐसा दान दिया रे योगी
कहलाये वो महादानी
संत शिरोमणि ऋषि दधिची
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
लाखो दानी देखे
ना कोई ऐसा महादानी
संत शिरोमणि ऋषि दधीचि
की सुनलो रे अमर कहानी
जय जय ऋषि राज
जय जय ऋषि राज।।
गायक प्रेषक सम्पत जी दाधीच।
91 9828065814
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