समझी लेवो रे मना भाई अंत नी होय कोई आपणा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
समझी लेवो रे मना भाई
अंत नी होय कोई आपणा
समझी लेवो रे मना भाईं
अंत नी होय कोई आपणा।।
आप निरंजन निरगुणा
हारे सिरगुण तट ठाढा
यही रे माया के फंद में
नर आण लुभाणा
अंत नी होय कोई आपणा।।
कोट कठिन गड़ चैढ़ना
दुर है रे पयाला
घड़ियाल बाजत घड़ी पहेर का
दुर देश को जाणा
अंत नी होय कोई आपणा।।
दुई दिन का है रयणाँ
कोई से भेद नी कहेणा
झिलमील झिलमील देखणा
गुरु में शब्द को जपणा
अंत नी होय कोई आपणा।।
भवसागर का तीरणा
किस विधी पार उतरणा
नाव खड़ी रे केवट नही
अटकी रहयो रे निदाना
अंत नी होय कोई आपणा।।
माया के भ्रम नही भुलणा
ठगी जासे दिवाणा
कहेत कबीर धर्मराज से
पहिचाणो ठिकाणाँ
अंत नी होय कोई आपणा।।
समझी लेवो रे मना भाई
अंत नी होय कोई आपणा
समझी लेवो रे मना भाईं
अंत नी होय कोई आपणा।।
प्रेषक प्रमोद पटेल।
यूट्यूब पर 1निमाड़ी भजन संग्रह।
2प्रमोद पटेल सा रे गा मा पा
9399299349
samjhi levo re mana bhai ant na hoy koi aapna lyrics