साधो भाई हरदम हरि है भेला भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
साधो भाई हरदम हरि है भेला
दोहा सन्त समागम हरि कथा
तुलसी दुर्लभ दोय
सुत दारा औऱ गृह लक्ष्मी
पापी रे भी होय
सन्त समागम होय
वहाँ पर जाविये
हिरदे उपजे ज्ञान
राम लिव लाविये।
पर हरिये वो ठौड़ जहाँ
कथा नहीं श्रीराम की।
अरे हा बाजिन्द भीन्द विहुनी जान
कहो किस काम की।
सत्संग सेती प्रीत
पले तो पालिये
तेरा मन हैं मूर्ख गिवार
मरे तो मारिये।
कनक कामणी फ़ंद
टले तो टालिये
अरे हा बाजिन्द हरि भजन में
देह गळे तो गालिये।
अरे भाई परमार्थ में देह
गळे तो गालिये।
चल रही पछुआ पवन
छिन उड़ जायेंगे
हरी से कहे रे बाजिन्द
मूर्ख तो पछतायेंगे।
जिनके घर में हरी की चर्चा
नित होती हैं दिनरात
सदा सत्संग कथा
अमृत पान किया वो
तीर्थ धाम गया न गया।
नाम लिया हरी का जिसने
कीन्ही और का नाम लिया न लिया।
जड़ चेतन सब जीवन जग को
अपने घट में समझा न लिया।
सबका परिपालन नित्य किया
जिन हाथ से दान दिया न दिया।
गुरु के उपदेश समागम से
जिसने अपने घट भीतर में
कहे ब्रह्मानंद निज रूप को जाण लिया
तो फिर साधन योग किया न किया।
नाम लिया हरी का जिसने
कीन्ही और का नाम लिया न लिया।
साधो भाई हरदम हरि है भेला
कर सत्संग खोजो घट भीतर
खोजिया ही खबर पड़ेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
ये संसार अंधों का अंधा
सूझत नहीं हैं गेला
क्रिया कर्म में मारे भचीड़ा
कदे ही न भ्रम मिटेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
तीर्थ फिरे औऱ धाम जो सेवे
पत्थर जाय पुजेला
गोता खाय फिर निज घर में आवे
ईश्वर नाय मिलेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
घट में ईश्वर बायर खोजे
तू या में जन्म मरेला
जो जन हरि को दूर बतावे
वो चौरासी भुगतेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
सहज भ्रम मिटे रे भाई
तू बण सतगुरू जी का चेला
रोम रोम थने परमेश्वर दर्शे
निरख परख चित देला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
गुरु धिन सुखराम हरि रूप सदा ही
आदि अंत मदपेला
अचलुराम राम नित दर्शन करता
दुतिया दूर करेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
साधो भाई हरदम हरि है भेला
कर सत्संग खोजो घट भीतर
खोजिया ही खबर पड़ेला
साधो भाई हरदम हरि है भेळा।।
गायक श्री प्रेमदान जी चारण।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
sadho bhai hardam hai hari bhela lyrics