सच्चे मन से नाकोड़ा भक्त जो भी जायेगा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
सच्चे मन से नाकोड़ा
भक्त जो भी जायेगा
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर
भव सागर तर जायेगा
तर जायेगा तर जायेगा।।
तर्ज चढता सूरज धीरे धीरे।
श्री नाकोड़ा तीर्थ की
ये अमिट कहानी है
राजस्थान की धरती
ये बड़ी सुहानी है2
अरावली पर्वत में
तीर्थ बड़ा प्यारा है
नाकोड़ा नाम जिसका
ये जग से न्यारा है2
लूणी नदी के समीप
नाकोड़ा एक ढाणी है
पार्श्व प्रभु प्रगट हुए
पूर्वजो की वाणी है2
एक जैन संत का हुआ
इस ढाणी में जब आना
प्रेरणा करी मूर्ति की
प्रतिस्ठा है करवाना2
वीरम सेन की नगरी
मेवानगर में लाये
अरावली पर्वत के बीच
प्रतिस्ठा है करवाये2
सानिध्य मिला जिनका
कीर्ति रत्न सागर नाम था
ढाणी के नाम से ही बना
नाकोड़ा ये धाम था2
तीर्थंकर तेविसवे
प्रभु पार्श्व यहाँ विराजे है2
मूर्ति मनोहारी ज्यो
नभ में चन्दा साजे है2
इस तीर्थ की इइइ
इस तीर्थ की यश गाथा को
कोई मिटा न पायेगा
धीरे धीरे तीर्थ का
जीणोद्धार होता जायेगा
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर
भव सागर तर जायेगा
तर जायेगा तर जायेगा।।
समय आगे बढ़ रहा था
तीर्थ नष्ट होने लगा
नास्तिकों के कारण
अस्तित्व अपना खोने लगा2
उस घोर अंधकार में
एक ज्योत जली आशा की
रात ढलने वाली थी
फिर तो वो निराशा की2
साध्वी श्री सूंदर श्री जी
इस तीर्थ में आये
जीणोद्धार हो फिर से
मन मे भाव ये आये2
साथ मे थे गुरुभ्राता
हिमाचल सूरी राया
इस पुनीत कार्य मे
संघ भी आगे आया2
एक दिन पाट पर
बैठे हिमाचल सुरिवर
एक बालक प्रकट हुआ
पड़ी जो उस पर नज़र2
पास आकर गुरुवर के
बालक ये कहने लगा
नाम मेरा भैरव है
मुझको भी दो कही जगह2
बालक से बोले गुरुवर
एक शर्त माननी होगी
रक्षा इस तीर्थ की
भैरव तुम्हे करनी होगी2
जो आज्ञा आपकी होगी
सब मुझे मंजूर है
इस तीर्थ से मुझे कभी
होना नही दूर है2
शीश से धड़ तक की
मेरी प्यारी मूर्ति हो
जैसलमेर का पत्थर हो
जिसमे खूबसुर्ती हो2
इतना कहा बालक ने
हुआ वहां से गायब
सोच रहे गुरुदेव ये
वाक्या था बड़ा ही गजब2
भीम जी से पत्थर मंगाया
हिमाचल सुरीराज ने2
खीम जी ने मूर्ति बनाई
दी शाबाशी गुरुराज ने2
प्रतिस्ठा हुई इइइ
प्रतिस्ठा हुई भैरव देव की
कोई भूल न पायेगा
माध शुक्ल तेरस का
दिन ये जब भी आयेगा
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर
भव सागर तर जायेगा
तर जायेगा तर जायेगा।।
पार्श्व प्रभु की सेवा में
हाजरा हजूर है
नाकोड़ा के भैरव देव
जग में ये मशहूर है2
पार्श्व भैरव का धाम
ये साँचा दरबार है
रोज नये नये होते
यहाँ चमत्कार है
एक बार जो भी आता
नाकोड़ा धाम में
चार चांद लग जाते
भक्तो उसके नाम मे2
नाकोड़ा परिवार गुलावड
की ये तमन्ना है
जब तक है सांसे तन में
नाकोड़ा जाना है2
राजीव ऋषभ की मोहित
एक यही अर्जी है2
दिलबर आगे पार्श्व
भैरव की जो मर्जी है2
नागेश कमलेश भीहो हो
नागेश जो भी भक्ति रूपी
गंगा में डूब जायेगा
मन को धोकर पार्श्व भैरव
जी की कृपा पायेगा
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर
भव सागर तर जायेगा
तर जायेगा तर जायेगा।।
सच्चे मन से नाकोड़ा
भक्त जो भी जायेगा
पार्श्व भैरव के दर्शन पाकर
भव सागर तर जायेगा
तर जायेगा तर जायेगा।।
गायक नागेश कमलेश कांठा।
लेखक दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
नागदा जक्शन मप्र 9907023365
sacche man se nakoda bhakt jo bhi jayega lyrics