रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ अपने मन की बात - MadhurBhajans मधुर भजन
रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ
अपने मन की बात
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
तर्ज घणी दूर से दोड़्यो।
कब से तुम्हे पुकार रहा है दास तेरा
तुम आओगे ये पक्का विश्वास मेरा
तेरे भरोसे काट रहा हूँ
संकट के दिन रात
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
तेरी बाँट निहार रही अँखियाँ मेरी
अंतर्यामी श्याम लगाई क्यों देरी
क्षमा करो हे दीनदयालु
मेरे सब अपराध
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
नजर दया की कर दो
हे करुणा सागर
करता हूँ अरदास
संभालो अब आकर
बीत गई सो बात गई
अब रख दो सर पर हाथ
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
बिन्नू की अर्जी को अब
स्वीकार करो
दास हूँ तेरा मुझको मत इंकार करो
तुम ही मेरे इष्ट देव हो
तुम ही हो पित मात
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
रोज रोज तुम्हे क्या बतलाऊँ
अपने मन की बात
छोटी सी अर्जी मेरी
अब तो सुनो हे नाथ।।
roj roj tumhe kya batlaun apne man ki baat lyrics