राजा मोरध्वज की कथा राजस्थानी कथा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










राजा मोरध्वज की कथा
दोहा जो कुछ लिखा लिलाट पर
मेट सके न कोई
कोटि जतन करते फिरो
भाई अनहोनी ना होय।


ए सिवरू शारद माय निवन कर गुरू मनावा
नर नारी उपदेश गजानंद तुझको ही ध्यावा
मोरध्वज महिमा केवा रे सुनो सकल नर नार
मोरध्वज महिमा सुनीया सु
मोरध्वज महिमा सुनीया सु
पाप दूर हो जाय
मोर राजा री महिमा सुनो सकल नर नार
भगत की साची महिमा रे ए।।


राजा बीसल राव कलोवा नगरी कहावे
ज्यारी कन्या सात एकन रो वर नही पावे
राजा मन चिंता करी रे पुत्र न दीनो एक
कौन कर्म कन्या तना
कौन कर्म कन्या तना
इना कहा तो लिखिया लेख
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।









पूछे माँ बाप जन्म रा बंधु भाई
भाग किनरो खाय राव बीसल री जाई
बार बार मुझको कहावो सुनले पदम कंवार
पदमा बीसल राव री
पदमा बीसल राव री
तू भाग किनरो खाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दोहा पुत्री पदमा सातवीं ने
कहे पिता सुन बात
मेरी चिंता मत कर पिता
तो कर्म है म्हारे साथ।
राज पाठ बढ़ रित ज्योत भगवत रे सहारे
नहीं है म्हारा भाग पिताजी थारे लारे
जो रेखा मस्तक लिखी रे लिख दीनी किरतार
पदमा बीसल राव री
पदमा बीसल राव री
या भाग आपरो ही खाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दोहा राजा बीसल कोपियो
निज पर बुलाया पास
करो सगाई कन्या तनी
भई उगतडे प्रभात।
फोडो नगर मे मौन ओ
चून चुगे नित आय
दरवाजा मे बैठता
तायी विपर पकड्यो लाय।
ए पकड़ ले गया मोर राव ने बात सुनाई
चौकी भरी सब रात एक ने नींद न आयी
इन बाई रे कारणे रे कुण भटकन ने जाय
राजा मुख सु यु कयो
राजा मुख सु यु कयो
इन देवो मोर परणाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए बनी बाई री जोड़ हथेल्या चून चुगावे
भव भव रा भरतार चून चुगन ने आवे
जो रेखा मस्तक लिखी रे लिख दीनी किरतार
राजा मुख सु यु कयो
राजा मुख सु यु कयो
थाने देवा मोर परणाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दोहा आला लीला बांस कटावो
करो तोरन तम्ब तैयार
साम्बेला री करो तैयारी
राज वचन ने धार।
तेल चढ्यो कन्या तनो
चवरिया फेरा खाय
ब्राह्मण मुख सु यु कयो
थे देवोनी सेवरा आय।
केवे राव समझाय कन्या सुनो बात हमारी
ए राज पाट री रेख नही कर्मा मे थारी
मुख मांगे जो देवसु रे मन में धीरज धार
राजा मुख सु यु कयो
राजा मुख सु यु कयो
थने दियो मोर परणाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


बोली पदम कंवार पिता सुनो बात हमारी
क्या मांगू कर आस नीच है बुद्धि तुम्हारी
पंछी पिता परणाय ने रे काई देवे कोई दान
मानस जूण मै भरी
मानस जूण मै भरी
म्हाने करी मोरीयाँ लार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


काला करावो वेश काली एक बैल जोतावो
नही कोई संग मे जाय नही कोई मार्ग बताओ
माता री है जिवडी रे पिता रे मन नही भाय
पदमा बालक डावडी
पदमा बालक डावडी
इने करी मोरीयाँ लार
ए केवे रानी समझाय राव सुनो बात हमारी
कन्या जाय सात किसी नही पदमा है थारी
ओरो ने हाथी दिया रे सोना रो नहीं पार
पदमा बालक डावडी
पदमा बालक डावडी
थे करी मोरीयाँ लार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए डब डब भरीया चिडकली रा नैन
पदमा रा नैन पदमा रूदन करे
डब डब भरीया चिडकली रा नैन
पदमा रा नैन पदमा रूदन करे
डब डब भरीया।।


एतो सारी रे नगरी रा लोग भेला रे हुआ
एतो सारी रे नगरी रा लोग भेला रे हुआ
बाई रे फेरीयो माथे पर हाथ माथे ऊपर हाथ
पदमा रूदन करे डब डब भरीया।।


आतो पदमा बैठी रथ में
आतो पदमा बैठी गाडी मे
इन तो लिनो रे मोरीयाँ ने साथ मोरीयाँ ने साथ
पदमा रूदन करे डब डब भरीया।।


एतो मात पिता रो मन खेचीयो
एतो मात पिता रो मन खेचीयो
पदमा छोडी रे पीहरीया री आस
पदमा रूदन करे डब डब भरीया।।


बाबुल अलगी परणाई म्हाने एकली
बाबुल अलगी परणाई म्हाने एकली
बाबुल करी रे मोरीया रे लार मोरीया रे लार
पदमा रूदन करे डब डब भरीया।।


एतो हाथ जोडेने पदमा बोलीया
एतो हाथ जोडेने पदमा बोलीया
बीरा कर्म विधाता रे हाथ विधाता रे हाथ
पदमा रूदन करे डब डब भरीया
चिडकली रा नैन पदमा रा नैन पदमा रूदन करे।।


इन वन छोड़ बैल सागडी पाछो आयो
बैल दीनी छिटकाय नही कोई मार्ग बतायो
कन्या कलपे एकली रे लियो मोर ने पास
मात पिता मन खेचीयो
मात पिता मन खेचीयो
अब छोडी पीहरीया री आस
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


अरे उडीया सारंग जीव मोर जंगल में जावे
ए बैठा तरवर जाय पाप ने पल्ले लगावे
इन नगरी में पानी पिवु नही चुगो करू अति नाय
मै पंछी जंगल में राजी
मै पंछी जंगल में राजी
बैठा तरवर आय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


पवन चले प्रचंड तरवर रो टूटो डालो
पडियो मोर रे शिश पडते ही किनो किलकारो
गण गज रे बिज रे रेणती रे बिजली अपार
पलके सु पदमा गई
पलके सु पदमा गई
अब लिनी मोरीया री सार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दुख सु बिती रेण भोर उगन को आयो
पदमा जीव मनाय रिशानो किन पर आयो
पंजा पंख हाले नही रे गर्दन दीनी ढेर
पति हमारा मर गया
पति हमारा मर गया
इनमें हार नहीं फेर
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए कुरजा म्हारी बेनडी
थेतो उड उड़ बैठी रे एक
पदमा रूदन करे
ए कुरजा म्हारी बेनडी।।
मै तो म्हारा रे पति ने कद देखसु
मै तो करने काजलीया री रेख
पदमा रूदन करे
ए कुरजा म्हारी बेनडी।।


मोर धरण के माय हंसो स्वर्गा मे बोले
भगत भयी बेहाल स्वर्ग रो आसन डोले
धर्मराज ने पुछीयो केवो मृत्यु लोक री बात
एडो भगत कुण हुवो
एडो भगत कुण हुवो
स्वर्ग लोक थर्राय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


धर्मराज केवे बात सुनो प्रभु एक हमारी
मृत्यु लोक रे माय भगत एक दुखी तुम्हारी
शिव शंकर ने केवजो जावो मृत्यु लोक रे माय
जावो मृत्यु लोक में
जावो मृत्यु लोक में
थे आयेने केवो बात
चले तुंदला पहाड़ चले एक नंदी नाला
चढिया शंकर देव घड़ी चढिया घड़ी पाला
घडिया तो बीती गई रे पुनः न बीती जाय
नवा उपावन मुआ जीवावन
नवा उपावन मुआ जीवावन
दर्शन दीना आय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए ले गंगा को संग पार्वता पूछन आयी
काई थारा लडीया बीर काई भोजाया रिशाई
के थारो बाबुल कोपियो के माता दीनी गाल
विकट बनी मे खडी़ एकली
विकट बनी मे खडी़ एकली
गूंजे चिता सिहाल
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए बोली पदम कंवार मात काई थारो सहारो
जिन पियु पकडी हाथ जिनरो यु किनारों
राजा बीसल कोपियो रे दीनो मोर परणाय
सारी नगरी कोप गई
सारी नगरी कोप गई
ओ कोप कियो किरतार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


कर्म दीयो किरतार रूप अति दीनो भारी
विकट बनी रे माय रोवे है भगत तुम्हारी
भोले शिव अरज करूँ रे चरन पडी मै आय
मुख मांगे थे देवो तो
मुख मांगे सो देवजो
बहुत आनंद हो जाय
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


बोले शंभुदेव पार्वता बात हमारी
मृत्यु लोक रे माय दुखी है नर ओर नारी
भोले शिव कहने लगे रे सुन पार्वता बात
मृत्यु लोक रे मायने
मृत्यु लोक रे मायने
दुखी पूरो संसार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए लेवा उनरी सहार थारे मै संग मे चालू
नही तर तजदू प्राण घाव म्हारे तन को घालु
हंसकर शिवजी बोलीया रे सुन पार्वता नार
अब मै संग मे चालसु
अब मै संग मे चाल सु
लेवा उनरी सहार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


गंगा गवर्जा साथ शंकर यु चलकर आया
टूटा शंभुदेव मोर का मर्द बनाया
पदमा यु कहने लगी रे सुनजो भोलेनाथ
हाथ जोड विनती करा
हाथ जोड विनती करा
थे मोर पति दो आप
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दोहा पदमा यु कहने लगी
ओर कह रही शिश निवाय
हाथ जोड विनती करूँ
म्हाने मोर पति दो आप।
सिर पर तुर्रो राख मोर रो मर्द बनाया
भगत बही बेहाल भगत को ज्ञान सुनाया
सात दीप नवखंड मे रे धरीयो मोरध्वज नाम
अब मत बिलखे बावली
अब मत बिलखे बावली
संत भरेला साथ
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


कोपिया शनिदेव बीसल पर कष्ट यु पडियो
लुटो खजाना रो माल दरवाजों उल्टो पडियो
ओडी बार उचावीयो रे चाल्यो उज्जैनी माय
उज्जैनी रे मायने
उज्जैनी रे मायने
दीना डेरा डाल
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए लिनी कवाडी हाथ जंगल में दरकत काटे
बेचे शहर के माय जमारो दुखीयो काटे
हाथे किना काम वो किन ने दीजे दोष
अभिमान रे कारणे
अभिमान रे कारणे
अब करवा लागो सोच
ए लकडी लेवेनी कोई सूरज अब सामी आवे
ए पल्टीयो फोरो दिन पोल के आगे आयो
ए भार नीचे उतार दी रे फेरीयो सिर पर हाथ
अरे राजा मोर रा पोलीया
राजा मोर रा पोलीया
अब पूछन लागा बात
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए रिमझिम बरसे मेघ इन्द्र ओ घेरो गाजे
आयो पोल रे माय मोर ने मुजरो साजे
पदमा पिता पहचानीयो दासी तू नेडी आव
लकडी वाला मानवी ने
लकडी वाला मानवी ने
वेगो महला लाव
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


दोहा सदा रंक नही राव
सदा मृदंग नही बाजे
सदा धूप नही छाव
सदा इन्द्र नही गाजे।
सदा न जोबन फिर रहे
ओर सदा न काला केश
बेताल कहे सुनो नर विक्रम
तो सदा ना राजा देश।
ए पदमा कहे कर जोड साम्भलो बात हमारी
करी मोरीया लार पिता मै पुत्री थारी
पति है म्हारो मोरीयो रे मै मोरीया की नार
शिव शंकर गुरू देवता
शिव शंकर गुरू देवता
ए किना बेडा पार
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।


ए मिल पदमा सु आय बीसल अब पाछो जावे
कहे बक्सो कर जोड मोर री महिमा गावे
गंगा नहावो चाहे गोमती रे पुष्कर करो स्नान
राजा मोर की महिमा सुनीया सु
राजा मोर री महिमा सुनीया सु
इतरा दान समान
मोर राजा री महिमा सुनो सभा चित लाय
भगत की साची महिमा रे ए।।
गायक श्याम पालीवाल जी।
प्रेषक मनीष सीरवी।
रायपुर जिला पाली राजस्थान
9640557818










raja mordhwaj ki katha lyrics