प्रेम के वश गोपाला है प्रेम का पंत निराला है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










प्रेम के वश गोपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


हरि की लीला प्रेम का सागर
प्रेम से रीझे गिरिधर नागर
प्रेम ही अमृत प्याला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


त्याग बनाता प्रेम कहानी
प्रेम की धारा राधा रानी
कृपा का खुलता ताला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


यार प्यार से परे प्रेम है
विषय वासना हरे प्रेम है
प्रभु को मिलाने वाला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।









प्रबल प्रेम से आंसू बहते
प्रेमी श्री चरणों में रहते
निर्मल करने वाला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


प्रेम का पंछी तूही तूही बोले
सोहम का स्वर अंदर डोले
भव पार लगाने वाला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


नारायण है प्रेम के भूखे
प्रेम बिना सब साधन रुखे
प्रेम से होय उजाला है
प्रेम का पंत निराला है
प्रेम के वश गौपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


प्रेम के वश गोपाला है
प्रेम का पंत निराला है।।


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prem ke vash gopala hai prem ka pant nirala hai lyrics