प्रभु जी के द्वारे मन ये पुकारे जैन भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










प्रभु जी के द्वारे
मन ये पुकारे
जिनवर के दर सा कोई
धाम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें।।
तर्ज सागर किनारे।


ज्ञान दिवाकर
शांति सुधाकर
त्रिभुवन निहारो
कैवल्य पाकर
सारे जगत में तुमसा
नाम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें
मन ये पुकारे
जिनवर के दर सा कोई
धाम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें।।


तुम जग विधाता
मोक्ष प्रदाता
तुमको जो ध्याये
तुमसा हो जाता
भक्ति सिवा अब कोई
काम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें
मन ये पुकारे
जिनवर के दर सा कोई
धाम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें।।









प्रभु जी के द्वारे
मन ये पुकारे
जिनवर के दर सा कोई
धाम नहीं है
प्रभु जी के द्वारें।।
















prabhu ji ke dware man ye pukare jain bhajan lyrics