पावागढ़ सु उत्तरी कालका संग भेरू ने लाइ रे - MadhurBhajans मधुर भजन
पावागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे
आगे आगे कालो खेले
पाछे भेरू गोरो हे ओ जी।।
ऐ हे खड़क खांडो खप्पर हाते
हुई विकराल काली हे
योगी भूत पिचासन नाचे
हे तीन लोक की माई हे ओ जी
पांवागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे।।
ऐ हे तीन लोक और चौदह भवन में
माता थारो राज हे
देवी देवता सरणे आया
शंकर शीश नमाया हे ओ जी
पांवागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे।।
ऐ हे ढोल नंगाड़ा नोपत बाज्या
तीनो देव थारे नाच्या हे
भगता रे बेले आवो ऐ कालका
अब देरी ना लगावो हे ओ जी
पांवागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे।।
ऐ हे धरम भगत थारी महिमा गावे
चरना शीश नमावे हे
जो कोई चरना आवे मात रे
जनम सफल हो जावे हे ओ जी
पांवागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे।।
पावागढ़ सु उत्तरी कालका
संग भेरू ने लाइ रे
आगे आगे कालो खेले
पाछे भेरू गोरो हे ओ जी।।
गायक और लेखक धर्मेंद्र तंवर उदयपुर।
9829202569
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pawagadh su utari kalka bhajan lyrics