पाँच मिरगला पच्चीस मिरगली असली तीन छुन्कारा - MadhurBhajans मधुर भजन










पाँच मिरगला पच्चीस मिरगली
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे
हाँ रे तु तो सुण रे
मिरग खेती वाला रे।।


पाँच मिरगला पच्चीस मिरगली
असली तीन छुन्कारा
अपने अपने रस का भोगी
चरता है न्यारा रे न्यारा रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।


मन रे मिरगले ने किस बिध रोकूँ
बिडरत नाय बिडारया
जोगी जंगम जती सेवड़ा
पंडित पढ़ पढ़ हारया रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।









आम भी खाग्यो अमली भी खाग्यो
खा गयो केसर क्यारा
काया नगरिये में कछुयन छोड्यो
ऐसो ही मिरग बिडारया रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।


शील संतोष की बाड़ संजोले
ध्यान गुरु रखवाला
प्रेम पार की बाण संजोले
ज्ञान ध्यान से ही मारया रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।


नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा
ऐसा मिरग बताया
भानीनाथ शरण सत गुरु की
बेगा ही बेग सम्भाल्या रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।


पांचमिरगला पच्चीस मिरगली
असली तीन छुन्कारा
अपने अपने रस का भोगी
चरता है न्यारा रे न्यारा रे
जतन बिना मिरगा ने
खेत उजाड्या रे।।














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