पाँच तत्व और तीन गुण नाही काल जाल से न्यारा - MadhurBhajans मधुर भजन
पाँच तत्व और तीन गुण नाही
पांच तत्व ओर तीन गुण नाही
काल जाल से न्यारा ए हा
सात दीप नवखंड भी नाही
सात दीप नवखंड भी नाही
माया का नही सहारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा
धरन गगन पवन नही पानी
धरन गगन पवन नही पानी
नाही सूरज तारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा।।
वाणी ठानी मुझ मे नाही
वाणी ठानी मुझ मे नाही
नाही गुरू अवतारा ए हा
खुद ही अनादी नाद मे नाही
खुद ही अनादी नाद मे नाही
नाद मूल से न्यारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा
धरन गगन पवन नही पानी
धरन गगन पवन नही पानी
नाही सूरज तारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा।।
अरे त्रिवेणी ताप लगे नही मुझको
त्रिवेणी ताप लगे नही मुझको
जन्म मरण नहीं सारा ए हा
जब तक दुनिया पद मे नाही
जब तक दुनिया पद मे नाही
चर अचर से न्यारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा
धरन गगन पवन नही पानी
धरन गगन पवन नही पानी
नाही सूरज तारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा।।
भास अभास मन की कल्पना
भास अभास मन की कल्पना
गुरू चेतन पूज्य न्यारा ए हा
धन्ना नाथ पारख निज सोही
धन्ना नाथ पारख निज सोही
दुखीया अधीक अपारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा
धरन गगन पवन नही पानी
धरन गगन पवन नही पानी
नाही सूरज तारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा।।
पाँच तत्व और तीन गुण नाही
पांच तत्व ओर तीन गुण नाही
काल जाल से न्यारा ए हा
सात दीप नवखंड भी नाही
सात दीप नवखंड भी नाही
माया का नही सहारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा
धरन गगन पवन नही पानी
धरन गगन पवन नही पानी
नाही सूरज तारा रे संतो
हम निर्भय निरधारा ए हा।।
गायक प्रकाश माली जी।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818
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