पल में आता पल में जाता पल में खेल रचाता है लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
पल में आता पल में जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
किस पल में वह बाग लगाता
किस पल फूल खिलाता है
किस फल में वह सुगंध भरता
किस पल में सूख जाता है
पल मे आता पल मे जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
जल कि वह एक बूंद बनाता
बूंद में बीज लगाता है
अण्ड बनाकर पण्ड बनाता
पण्ड माई प्राण बसाता है
पल मे आता पल मे जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
त्रिवेणी की तीरा उपर
साधु माला भजता है
रमता खेलता जग के माई
कोई कोई बिरला पाता है
पल मे आता पल मे जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
शंभू नाथ जी सतगुरु मिलिया
गुरुओं का उपदेश बताता है
जात पात गांव नहीं ठाना
यू शंकर भजन में गाता है
पल मे आता पल मे जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
पल में आता पल में जाता
पल में खेल रचाता है
उस पल की कोई गम नहीं करना
हरि कैसा रूप दिखाता है।।
गायक भेरुपुरी जी गोस्वामी।
प्रेषक मदन मेवाड़ी।
8824030646
pal me aata pal me jata pal me khel rachata hai lyrics