ॐ जय गुरुदेव हरे गुरू टेकचंद जी आरती - MadhurBhajans मधुर भजन










ॐ जय गुरुदेव हरे
ॐ जय गुरुदेव हरें
दीनजनों के संकट
तुम गुरु दूर करें।।


पुण्य पयोनिधि पावन
आलरी की धरती
हर्ष विभोर धरा ने
गोदी निज भर दी।।


लता पुष्प लहराये
सरस समय आया
सुमन गंध अंजलि भर
श्रद्धानत लाया।।


एक अलौकिक क्षण था
बिखरी नव आभा
गुरु के चरण परत ही
दुख विषाद भागा।।









रुकमणी अंक किलोलित
उदय गोद खेले
प्रमोदित मातपिता हो
बालक चाल चले।।


दामोदर कुल हर्षित
गुरु प्रसाद पाया
पावन स्वर गुरुवर का
नवजीवन लाया।।


कलि कुल कलुष सने है
मुक्ति कौन करे
अगम भाव भावन को
अभिनव आन धरे।।


कलयुग कलुष मिटाने
कड़छा मन भाया
साधि साधना तुमने
हटि गहन माया।।


जान अकिंचन हमको
ज्ञान चक्षु दे दो
भव सागर तर जावें
बीज मंत्र कह दो।।


शरण पड़े हम तेरी
अवलंबन प्रभु दो
उभय लोक सुखकारी
वरद हस्त धर दो।।


हीरा तो पत्थर हैं
चमक तुम्हीं देते
मोह जड़ित जड़ मन को
ज्योतित कर देते।।


विनय भाव जो जन
गुरु महिमा गावे
आनंदित हो जीवन
भव से तर जावे।।


ॐ जय गुरुदेव हरे
ॐ जय गुरुदेव हरें
दीनजनों के संकट
तुम गुरु दूर करें।।



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