निर्गुण रंगी चादरिया रे कोई ओढे संत सुजान लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










निर्गुण रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
कोई ओढे संत सुजान रे
कोई ओढे संत सुजान।।
देखे जनम तेरा बातों ही।


कोई कोई विरला जतन से पावे
या चुनरी पिय के मन भावे
कितने ओढ़ भए वैरागी
भए कई मस्तान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान।।


नाम के तार से बुनी चदरिया
प्रेम भक्ति से रंगी चदरिया
सतगुरु कृपा करे तो पावे
यहु अनमोलक दान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान।।









पोथी पढ़ी पढ़ी नैन गंवावे
सतगुरु नाथ शरण नहीं आवे
हरि नारायण निर्गुण सगुण
सबही में पहचान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान।।


निर्गुण रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
कोई ओढे संत सुजान रे
कोई ओढे संत सुजान।।
स्वर हरिओम जी शरण।










nirgun rangi chadariya re lyrics in hindi