निर्गुण धाम सिंगाजी जहाँ अखण्ड पूजा लागी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










निर्गुण धाम सिंगाजी
जहाँ अखण्ड पूजा लागी।।

जहाँ अखण्ड जोति भरपूर
जहाँ झिलमिल बरसे नूर
जहाँ ब्रह्म ज्ञान मामूर
जहाँ बिरला पहुँचे सूर।।


जहाँ सोहं शब्द एक सार
जहाँ आदि अन्त ओंकार
जहाँ पुरी रह्या एक तार
सब घट मंऽ श्री ओंकार।।


तन मन काया खऽ खोजे
खोजे बिन कैसा सूझे
जग जाण पाया सूधा
जब निरंकार को पूजे।।









सूक्ष्म कमल के माँही
जहाँ अनहद नाद सुनाई
सिंगा रमी रह्या तेहि मांई
जहाँ कटे करम की काई।।


निर्गुण धाम सिंगाजी
जहाँ अखण्ड पूजा लागी।।
प्रेषक घनश्याम बागवान।
7879338198










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